अकबर बीरबल की कहानियाँ (Akbar Birbal Stories in Hindi): आपने Akbar Birbal ki Kahani के बारे मे कहीं न कुछ न कुछ जरूर सुना होगा। बीरबल मुगल बादशाह अकबर के नौ रत्नों मे से एक थे जिनकी वाक्पटुता और चतुराई का हर कोई कायल था बादशाह अकबर भी।
इस लेख मे हमने अकबर बीरबल की कहानी (Akbar Birbal Ki Kahani– Akbar Birbal Stories in Hindi) का एक सम्पूर्ण संग्रह दिया गया है। इस संग्रह मे आपको Akbar Birbal की 30 से ज्यादा प्रेरणापरक कहानियाँ मिलेगी। इन कहानियों से आप बच्चो का मानसिक विकास सुनिश्चित कर सकते हैं। उनकी सोचने और समझने की क्षमता मे वृद्धि होगी साथ ही साथ तार्किक बहस करने की क्षमता का विकास होगा।
Akbar Birbal Ki Kahani पढ़ने से पहले चलिये बीरबल के बारे मे थोड़ी जानकारी कर लेते हैं-
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कौन थे बीरबल? बीरबल का असली नाम क्या था?
बीरबल का पूरा नाम महेश दास ब्रहंभट्ट था। वो एक सारस्वत ब्राह्मण परिवार मे पैदा हुये थे। महेश दास का जन्म 1528 मे हुआ था, उनके पिता का नाम गंगा दास और माँ का नाम अनभा दवितों था। बीरबल के परिवार का कविता और साहित्य से काफी गहरा नाता था।
बीरबल का नाम बीरबल क्यों पड़ा? अकबर और बीरबल की मुलाक़ात कैसे हुई?
(Akbar Birbal Stories in Hindi) Akbar Birbal Ki Kahani की शुरुआत कुछ इस तरह से होती है।
उस समय बादशाह अकबर आगरा के किले मे रहते थे। एक बार अकबर जंगल मे अपने चंद सैनिकों के शिकार खेलते हुये काफी दूर निकाल गया और वापस आने का रास्ता भटक गए। जब उनको इस बात का एहसास हुआ की वो लोग रास्ता भटक गए हैं उन्होने काफी प्रयास किया लेकिन सही मार्ग नहीं खोज सके।
वो लोग जंगल मे यूंही अनुमान के आधार पर आगे बढ्ने लगे और एक ऐसे तिराहे पर आकर रुके जहाँ से तीन रास्ते आगे जाते थे। अब वहाँ से कौन सा मार्ग आगरा की तरफ जाएगा इसका अनुमान लगा पाना मुश्किल था।
अकबर ने अपने सिपाहियों से कहा- “ आसपास देखो कोई तो होगा जो हमे सही रास्ता बता सके”
थोड़ी देर मे उन्हे एक 10 बारह वर्ष का एक बालक दिखा।
“इनमे से कौन सा रास्ता आगरा किले की तरफ जाएगा बच्चे” -बादशाह अकबर ने पूछा।
उस बालक ने निर्भीकता से जबाव दिया- “इनमे से कोई भी रास्ता आगरा नहीं जाएगा, जाना तो आपको स्वयं पड़ेगा” ।
उस लड़के के इस प्रकार उत्तर से अकबर भौचक्का रह गया, उसने पूछा तुम्हारा नाम क्या है बालक? उसने बताया – महेश दास और आप कौन हैं यह भी साथ मे पूछ लिया।
“तुम हिंदुस्तान के बादशाह अकबर से बात कर रहे हो बालक” – अकबर ने कहा
महेश दास ने अकबर का अभिवादन किया और आगरा जाने के लिए सही मार्ग बताया। अकबर ने प्रसन्न होकर उस लड़के महेश दास को अपने हाथ से उतारकर एक अंगूठी देते हुये कहा –“मै तुम्हारी हाजिर जबावी और निडरता से खुश हूँ, मेरे दरबार मे आना और ये अंगूठी दिखाने पर मै तुम्हें पहचान लूँगा और इनाम दूंगा”।
यह कहकर अकबर ने किले की तरफ प्रस्थान किया।
समय व्यतीत हुआ और महेश दास युवा हो गया. एक दिन उसने बादशाह से मिलने उनके राजमहल जाने का विचार किया और उनकी दी हुई अंगूठी लेकर अपने घर से निकल पड़ा. राजमहल पहुँचकर वह हैरान रह गया. कीमती पत्थरों से निर्मित और बेहतरीन नक्काशी से सज्जित आलीशान राजमहल देखकर उसकी आँखें फटी की फटी रह गई. कुछ देर राजमहल को निहारने के बाद जब वह अंदर जाने को हुआ, तो द्वार पर खड़े दरबान ने उसे रोक दिया, “रुको! ऐसे कैसे अंदर चले जा रहे हो?”
बादशाह अकबर के द्वारा दी हुई अंगूठी दिखाते हुए महेश दास दरबान से बोला, “महाशय! मुझे जहाँपनाह से मिलना है.”
दरबान उसे राजमहल में प्रवेश देने के लिए राज़ी हो गया, किंतु इस शर्त पर कि बादशाह उसे जो भी ईनाम देंगे, उसका आधा हिस्सा वो उसे देगा. बीरबल ने शर्त मान ली. राजमहल में प्रवेश कर वह बादशाह अकबर के दरबार पहुँचा. बादशाह सलामत को सलाम करने के बाद उसने उन्हें अंगूठी दिखाई, जिसे पहचान कर बादशाह बोले, “अरे! तुम तो वही बालक हो, जिसने हमें रास्ता बताया था.”
“जी हुज़ूर” “बोलो, ईनाम में क्या चाहते हो?”
“जहाँपनाह मैं चाहता हूँ कि आप मुझे ईनाम में 100 कोड़े लगवायें.” महेश दास ने नम्रतापूर्वक निवेदन किया. यह निवेदन सुनकर बादशाह अकबर हक्के-बक्के रह गए, “ये तुम क्या कह रहे हो? बिना अपराध के हम तुम्हें कैसे कोड़े लगवा सकते हैं.”
“हुज़ूर, मुझे ईनाम में 100 कोड़े ही चाहिए.”
अकबर को काफी हैरत हुई लेकिन महेश दास को इनाम 100 कोड़ों का चाहिए था तो बादशाह को उसकी बात माननी पड़ी। जल्लाद ने महेश दास को कोड़े लगाने शुरू किए। जैसे ही 50 कोड़ें पूरे हुये- महेश दास ने कहा बस बस रुको रुको, मेरे हिस्से का इनाम मुझे मिल चुका।
अब बाकी के 50 कोड़ें आपके दरबान को देना है मैंने उससे वचन दिया है। पूरी सभा और बादशाह अकबर हैरत मे थे कि ये क्या कह रहा है। अकबर के पूछने पर महेश दास मे बताया कि आपके दरबान ने मुझे इसी शर्त मे अंदर आने दिया था कि जो भी इनाम मुझे मिलेगा उसका आधा उसे दूंगा।
तो मेरे हिस्से के 50 कोड़ें का इनाम पे आपके दरबान का ही हक है। ये सुनकर दरबार मे ठहाके लगने लगे। बादशाह ने उस दरबान को 50 कि जगह 100 कोड़े मरवाये।
महेश दास कि बुद्धिमता से अकबर काफी प्रभावित होकर कहा कि – “आज से तुम बीरबल कहलाओगे” और मै तुम्हें हमारे नवरत्नों मे शामिल करता हूँ। इस प्रकार से “महेश दास” का नाम बीरबल पड़ा और वो अकबर के मुख्य सलाहकार नियुक्त हो गए। बीरबल का अर्थ होगा “बुद्धिमान व्यक्ति”
अकबर बीरबल की कहानियाँ (Akbar Birbal Ki Kahani List)
अकबर बीरबल की कहानियाँ न सिर्फ मजेदार हैं बल्कि इनमे गहरी सीख (शिक्षा) छिपी हुई है। यहाँ पर हमे अकबर बीरबल की कहानी हिन्दी का सबसे बेहतरीन संकलन प्रस्तुत किया है।
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