Bhagwan Manav Awtar Kyu Lete Hain?: क्या आप जानते हैं भगवान मनुष्य का अवतार क्यों लेकर आते हैं? इस प्रश्न का उत्तर मिलेगा आपको अकबर बीरबल की इस हिन्दी कहानी मे जिसका नाम है “bhagwan manav awtar kyu lete hain”।
एक दिन अकबर ने बीरबल से पूछा, “भगवान जब अपनी इच्छा से ही सब कुछ कर सकते हैं, तो वे मानव अवतार क्यों लेते हैं?” प्रश्न सुनकर बीरबल ने अकबर से थोड़ा समय मांगा, ताकि वह सोच-विचार कर इस प्रश्न का उचित उत्तर दे सके.
अकबर ने बीरबल को समय दे दिया.
अकबर से आज्ञा लेकर जब बीरबल घर की ओर निकला, तो शाही बाग़ में एक दासी को अकबर के पुत्र को गोद में घुमाते हुए देखा. बीरबल दासी के पास गया और बोला, “आज बादशाह सलामत ने मुझसे एक तार्किक प्रश्न किया है. उसके सही उत्तर के लिए मुझे तुम्हारी सहायता की आवश्यकता है.”
दासी ने पूछा कि वह कैसे उसकी सहायता कर सकती हैं. बीरबल ने उसे समझाना शुरू किया, “ध्यान से सुनो. जब बादशाह सलामत शाम को तालाब के किनारे अपने पुत्र के साथ खेलने आयेंगे. तो तुम एक कपड़े के गुड्डे को गोद में लिए तालाब के किनारे टहलने लगना. बादशाह के पुत्र को मैं अपने साथ छुपा कर रखूंगा. टहलते-टहलते तुम ऐसा दिखाना, मानो तुम्हारे पैर में ठोकर लग गई हैं और तुम गिर रही हो. इस प्रक्रिया में तुम कपड़े के गुड्डे को तालाब में गिरा देना.”
बीरबल ने दासी को यह भी विश्वास दिलाया कि उसे किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. इसलिए वह डरे नहीं. बीरबल का आश्वासन पाकर दासी ख़ुशी-ख़ुशी इस काम के लिए राज़ी हो गई.
शाम को रोज़ की तरह अकबर टहलते-टहलते राजमहल के तालाब के पास पहुँचे.
उसी समय दासी बीरबल के कहे अनुसार अकबर के पुत्र के स्थान पर कपड़े का गुड्डा लेकर तालाब किनारे टहल रही थी. अचानक उसने पैर फ़िसलने का नाटक किया और उस कपड़े के गुड्डे को तालाब में गिरा दिया. अकबर को लगा कि उनका पुत्र तालाब में गिर गया है. अकबर फ़ौरन तालाब के किनारे पहुँचे और पानी में छलांग लगा दी.
जैसे ही अकबर पानी मे कूदते हैं पास ही पेड़ के पीछे छुपा बीरबल बाहर आ गया. उसके साथ अकबर का पुत्र भी था. वो अकबर से बोला, “जहाँपनाह, चिंता मत करिए. आपका पुत्र मेरे पास है और सही-सलामत है.” यह देख अकबर बहुत नाराज़ हुए और तालाब से बाहर निकलकर सैनिकों को बीरबल को गिरफ्तार कर लेने आदेश दिया. बीरबल ने तब बिना समय गंवाए कहा, “जहाँपनाह! आज दरबार में आपके मुझसे जो प्रश्न किया था. मैंने बस उसका व्यावहारिक उत्तर दिया है. आपके पास इतने सारे सेवक हैं, जो आपके पुत्र के प्राणों की रक्षा कर सकते थे. फिर भी अपने पुत्र को बचाने आपने खुद पानी में छलांग लगा दी.
ऐसा आपने अपने पुत्र के प्रति प्रेम के कारण किया. ठीक इसी तरह भगवान भी अपनी इच्छा मात्र से सबकुछ कर सकते हैं. इसके बाद भी अपने भक्तों के प्रेम के कारण और उनकी रक्षा के लिए मानव अवतार लेकर धरती पर अवतरित होते हैं.” बीरबल के उत्तर से अकबर संतुष्ट हो गए. उन्होंने उसकी सजा माफ़ कर दी और इनाम से नवाज़ा.
उम्मीद करते हैं आपको इस प्रश्न (Bhagwan Manav Awtar Kyu Lete Hain) का उत्तर मिल गया होगा।
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