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    कर्मो का भोग निश्चित है – Ek Hindi Moral Story

    Googal BabaBy Googal BabaNo Comments4 Mins Read
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    कर्मो का भोग निश्चित है - Ek Hindi Moral Story
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    कर्मो का भोग निश्चित है , इस हिन्दी कहानी जिसमे आपको एहसास होगा कि व्यक्ति कितना भी शक्तिशाली हो वह अपने कर्मों से भाग नहीं सकता एक न एक दिन उसके कर्म उसे उसकी सही जगह पर ला ही देते हैं। और कर्मों का फल जन्म मृत्यु के भी परे हैं जब तक पूरा हिसाब नहीं होता यह फल पीछा नहीं छोड़ते| यह कहानी बच्चों को सुनाएँ, पढ़ाएँ और उन्हे सदमार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करें। उन्हे इस कहानी से पता चलेगा की बुरे कर्म करने वाले को प्रायश्चित करना ही पड़ता है।

    Table of Contents

    • कर्मो का भोग निश्चित है
    • Moral of the Story – कर्मो का भोग निश्चित है
        • यह भी पढ़ें –

    कर्मो का भोग निश्चित है

    एक बार एक सिद्ध आचार्य अपने शिष्यों के साथ तीर्थ यात्रा पर निकले | कुछ देर चलने के बाद वे थक गए और विश्राम करने बीच घने जंगल में ही रुक गये | इतने में आचार्य को कुछ आवाजे सुनाई दी | ध्यान से सुनने पर आचार्य को समझ आया कि यह कुछ लोगो के रोने की आवाज हैं |

    उन्होंने शिष्यों को बोला– बालको ! ध्यान लगाकर सुनो ये आवाजे कहाँ से आ रही हैं ?

    तब शिष्य एक दुसरे का मुंह देखने लगे क्यूंकि उन्हें कोई आवाज सुनाई नहीं दे रही थी, फिर भी गुरु के आदेशानुसार उन्होंने जंगल मे कुछ दूर जाकर देखा |

    केवल आचार्य को एक गहरे, अँधेरे कुएँ से कुछ लोगो के रोने की आवाज सुनाई दे रही थी | आचार्य ने कुएँ में झाँक कर देखा तो उन्हें 5 लोग बहुत ही बुरी दशा में रोते हुए दिखाई दिए, लेकिन शिष्यों को ना आवाज सुनाई दी और ना ही कुछ दिखाई दिया|

    तब आचार्य ने उन पाँच लोगो को मुस्कुराते हुए देखा और पूछा – भाई किन कर्मो का भोग रहे हो ? तब वे पाँचों और जोर-जोर से रुदन करने लगे |

    तब आचार्य ने शिष्यों को बताया- यहाँ 5 प्रेत आत्मायें हैं |

    यह सुनकर शिष्य डर गये, तब आचार्य बोले बालको डरों नहीं | तुम सभी इनसे ज्यादा शक्तिमान हो क्यूंकि तुम सब कर्मो से महान हो और ये सभी आज अपनी पिछली करनी का भोग रहे हैं | आज के समय में इनसे दुर्बल कोई नहीं हैं |

    इन्होने ऐसा क्या किया था गुरुदेव – एक शिष्य ने पूछा !!

    तब पहली प्रेत आत्मा ने उत्तर दिया – कि वह पिछले जन्म में ब्राहमण था | भिक्षा मांगता था लेकिन उस भिक्षा को भोग विलास में खर्च करता था |

    दूसरी प्रेम आत्मा ने उत्तर दिया:  वह क्षत्रिय था और अपनी शक्ति का दुरुपयोग निर्बल, असहाय गरीबो पर करता था।

    तीसरे ने उत्तर दिया:  कि वो बनिया था | बस खुद के फायदे की सोचता था और हमेशा मिलावट करके सामान बेचता था | जिस कारण कई लोग मारे गये |

    चौथे ने उत्तर दिया:  वह क्षुद्र था | बहुत आलसी और जिम्मेदारी से भागता था अपने माता-पिता को मारता पीटता था और दिन रात नशा करता था |

    पांचवे प्रेत ने कहा: वह एक लेखक था | अश्लील कथाये लिखता था उसने समाज को वासना का पाठ सिखाया था |

    इस तरह वे सभी पापी अपने पापो को भोग रहे हैं |

    उन्होंने आचार्य से निवेदन किया | आप गुरु हैं, आप दुनियाँ वालो को समझायें कि बुराई का रास्ता क्षण  भर की ख़ुशी देता हैं लेकिन इसका दंड कई जन्मो तक अंधकार में भोगना पड़ता हैं |  

    Moral of the Story – कर्मो का भोग निश्चित है

    मनुष्य को कर्मो का फल भोगना ही पड़ता हैं फिर वो किसी भी जन्म में हो | कहते हैं जिस तरह ईश्वर हैं वैसे ही भूत भी होते है लेकिन वे जितने दुर्बल होते हैं उतना कोई नहीं | जितने कष्ट में वो होते हैं उतना कोई नहीं वे अपनी करनी का भोग करते हैं | क्षण की विलासिता कई जन्मो के दुखों का कारण बन जाती है, व्यक्ति कितना भी इतरा जायें नियति उसके कर्मो का हिसाब रखती ही हैं इसलिए सदैव सद्मार्ग पर चले अगर गलती हुई भी हैं तो उसे सुधारे |


    यह भी पढ़ें –

    हिन्दी कहानियों के हमारे मास्टर page पर आपको मिलेगी कई बेहतरीन हिन्दी कहानी, कथा स्टोरी जो बच्चों के नैतिक विकास के लिए बहुत उपयोगी हैं- नीचे दिये गए table से पढ़िये और अधिक मनोरंजक तथा प्रेरक हिन्दी कहानियाँ—

    SRHindi Kahani Title
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