पंचतंत्र की हिन्दी कहानी के इस अंश मे हम पढ़ेंगे “Bandar aur Magamachch ki Kahani”. जंगल मे एक जामुन का पेड़ हुआ करता था। उसी पेड़ के किनारे नदी बहती थी। एक बंदर उस पेड़ के जामुन खाने आया करता था और पास की नदी मे एक मगरमच्छ का बच्चा रहता था।
कुछ समय मे बंदर और मगरमच्छ के बच्चे मे दोस्ती हो गई। और बंदर पेड़ के ऊपर बैठ कर मगरमच्छ को जामुन खिलाया करता था।
इस दोस्ती के बारे मे एक दिन मगरमच्छ के बच्चे ने अपनी माँ को बताया। मगरमच्छ की माँ को बंदर का दिल बहुत स्वादिष्ट लगता था। उसने मगरमच्छ से कहा कि वह उसके लिए बंदर का दिल लाए।
मगरमच्छ ने बंदर से कहा, नदी के बीच “उस टापू के फल पक गए हैं। मैं तुम्हें वहाँ ले चलता हूँ।” बंदर के मुँह में पानी आने लगा। वह उछलकर मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया।
दोनों टापू की ओर चल पड़े। रास्ते में मगरमच्छ ने बताया, “मेरी माँ तुम्हारा हृदय खाना चाहती है और मैं तुम्हें उसके पास ही लिए जा रहा हूँ।”
बंदर चुपचाप सोचने लगा। कुछ देर बाद वह बोला, “अरे, लेकिन मैं तो अपना हृदय पेड़ पर ही छोड़ आया हूँ। तुम्हें मेरा दिल चाहिए तो मुझे वापस वहीं ले चलो।” चतुर बंदर ने बात बनाई। मूर्ख मगरमच्छ बंदर को वापस नदी के तट पर ले आया।
जैसे ही वे तट के पास पहुँचे, बंदर उछलकर पेड़ पर चढ़ गया और मगरमच्छ को बोला आज से तेरी मेरी दोस्ती खतम और इस प्रकार बंदर की जान बच गई।
बंदर और मगरमच्छ- पंचतंत्र की कहानी से सीख
इस कहानी से हमे यह सीख लेनी चाहिए की अपने से विपरीत स्वभाव वाले से दोस्ती नहीं करनी चाहिए और यदि कभी मुसीबत मे फंस जाओ तो अपनी चतुराई से उस समस्या से बाहर निकालने का प्रयास करो। जैसे की बंदर ने किया।
यदि बंदर नदी के बीच मे मगरमच्छ की बात सुनकर घबरा जाता तो वह पानी मे भाग भी नहीं सकता था। इसलिए बंदर ने चतुराई से काम लिया और मगरमच्छ को मूर्ख बनाकर उसकी पीठपर बैठकर किनारे आ गया।