श्रीकृष्ण अपने आप मे एक सम्पूर्ण मानव थे। उन्होने के बेहतरीन जीवन जीने क उदाहरण पेश किया। आइये देखते हैं उनकी बताई 10 सीख जो हम सबके लिए वरदान के समान है
श्रीकृष्ण ने बताया है की : मोह कहता है कि मै अपने पुत्र को सारे सुख दूंगा जबकि प्रेम कहता है कि ईश्वर मेरे पुत्र को सुख देंगे"
आपको हमेशा परिणामों की चिंता किए बिना अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। सच्ची श्रद्धा से किए गए कर्म कभी निष्फल नहीं होते।
जीवन में हमारी कई अलग-अलग भूमिकाएँ हैं, जैसे पुत्र, पिता, पति इत्यादि हमे अपने जीवन में सभी भूमिकाएँ ईमानदारी और दिल से निभानी चाहिए!
सब कुछ अच्छे के लिए होता है। भगवान कृष्ण के अनुसार हर कोई अपने कर्मों का फल भोग रहा है। हम अपने अतीत, वर्तमान या भविष्य के बारे में कुछ नहीं कर सकते।
हम एक दिन मरने के लिए ही पैदा हुए हैं। हम जीवन में भले ही धन-दौलत हासिल कर लें, लेकिन आखिरी सांस के साथ हम सब कुछ पीछे छोड़ देंगे।
मानवता का सबसे बड़ा कार्य है कमजोरों की रक्षा करना है। जो लोग असहाय और कमजोर हैंऔर अपनी रक्षा नहीं कर सकते हैं, यदि आप सामर्थ्यवान हैं तो आपको ऐसा करना ही चाहिए।
कृष्ण ने भीष्म पितामह से कहा - "करुणा सबसे बड़ा धर्म है, यदि आप अपने निज धर्म को त्यागकर द्रौपदी की करुणा के लिए खड़े हो जाते तो आप पाप मुक्त हो सकते थे। "
जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है, हमें भौतिकवादी चीजों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। कृष्ण ने साधारण जीवन के साथ-साथ राजसी जीवन भी जिया लेकिन जीवन के दोनों चरणों में वे तटस्थ रहे।
कई बार ऐसा हुआ जब कृष्णा ने किसी लड़ाई से बचने या किसी स्थिति से निपटने के लिए अंडरडॉग की भूमिका निभाई क्योंकि वह जानते थे कि हर बार हीरो की भूमिका निभाना जरूरी नहीं है।
कई लोगों ने कृष्ण का अपमान करने की कोशिश की क्योंकि उनका रंग काला था लेकिन उन्होंने कभी भी खुद को तुच्छ नहीं समझा। उन्होंने सिखाया कि हर कोई अद्वितीय पैदा होता है