चंद्रयान प्रथम पहला चंद्रयान मिशन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपाई ने 15 अगस्त 2003 को इस मिशन का वादा किया और नवंबर 2003 को मिशन को हरी झंडी दे दी।
भारत का चंद्रयान 2 मिशन 22 July 2019 को लॉन्च हुआ था , लेकिन यह असफल हो गया क्योंकि पृथ्वी पर बैठे हमारे वैज्ञानिकों का संपर्क विक्रम लैंडर से टूट गया था।
मिशन चंद्रयान 3, 14 July 2023 को शुरू किया गया और इस मिशन में भारत 23 अगस्त 2023 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना रोवर उतार दिया जहां पर आज तक कोई नही पहुंचा।
क्या आप जानते हैं की चंद्रयान 3 का budget बॉलीवुड की फ्लॉप फिल्म "आदिपुरुष" से भी कम था? जी हाँ चंद्रयान 3 का कुल बजट मात्र 615 करोड़ रुपए था
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अगर कोई अंतरिक्ष यात्री खड़ा होगा, तो उसे सूर्य क्षितिज की रेखा पर नजर आएगा. वो चांद की सतह से लगता हुआ और चमकता नजर आएगा. इस इलाके का ज्यादातर हिस्सा अंधेरे में रहता है.
यहां पर रात में तापमान माइनस 250 डिग्री तक पहुंच जाता है, जिससे रोवर प्रज्ञान सिर्फ दिन में काम करेगा रात में कम तापमान उसके सेंसर को काम नही करने देगा।
रोवर प्रज्ञान सिर्फ 14 दिन ही चाँद पर एक्टिव रह पाएगा क्यूंकी चाँद का एक दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है और उसके बाद 14 दिन रात। रात होने के बाद रोवर को दुबारा रीचार्ज करना मुश्किल है।
14 दिन में ही रोवर प्रज्ञान दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद जमीन के सैंपल और वातावरण को एनालाइज करेगा और उसकी जानकारी इसरो को भेजेगा।
प्रज्ञान से हम यह जान सकेंगे की क्या चांद पर पानी और ऑक्सीजन की कोई संभावना है क्या? और फिर वहां पर इंसानों को बसाने की संभावना पर विचार किया जा सकेगा ।
चांद पर कोई वातावरण नही है जिसके कारण वहां पर हवा नही है। जिसके कारण हम वहां पर बिना माइक्रोफोन के बात नही कर सकते हैं। क्योकि ध्वनि को ट्रैवल करने के लिए हवा चाहिए
चांद पर कोई वातावरण नही है जिसके कारण वहां पर हवा नही है। जिसके कारण हम वहां पर बिना माइक्रोफोन के बात नही कर सकते हैं। क्योकि ध्वनि को ट्रैवल करने के लिए हवा चाहिए
चंदा मामा पर एक दिन धरती के १४ दिन के बराबर होता है, और वहां पर gravity भी कम है जिससे व्यक्ति का वजन लगभग छः गुना कम हो जाता है। चाँद पर हम धरती से छः गुना ऊंची छलांग लगा सकते हैं।