30-40 की उम्र के पड़ाव मे आपको खुद को समझना और स्वीकार करना सीख लेना चाहिए। अपनी खूबियों और कमियों दोनों को स्वीकार करें
इस उम्र मे आपके पासं जिम्मेदारियाँ होंगी और उन्हे ठीक तरीके से निर्वाह करने के लिए अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत का पूरा ध्यान रखना चाहिए
अपने परिवार, दोस्तों और प्रियजन के साथ सार्थक संबंध विकसित करने में समय और ऊर्जा निवेश करें. अर्थहीन रिश्तों से बचें
30-40 वर्ष तक आपके लिए काफी नई चीजें उपलब्ध होंगी सीखने को। अपने अनुभव के आधार पर नई चीजों मे अपनी इन्वोल्वेमेंट बढ़ाएँ और आगे बढ़ें
जिद से नहीं लचीलेपन से चीजों को नियंत्रित करना सीखें। कठिन परिस्थितियों से निकल कर बाउन्स बैक करने की कला विकसित करें ।
अपने passion को बाहर लाओ और वो करो जिसमे आपको सुकून और खुशी मिलती हो। ये समय इधर उधर भटकने का नहीं है।
वर्तमान की सराहना करें, और भविष्य मे आपके लिए क्या फायदेमंद रहेगा उसके हिसाब से योजना बनाएँ और कार्य करें।
अपनी Processional प्रतिबद्धताओं के साथ-साथ अपने निजी जीवन, शौक और रिश्ते को प्राथमिकता दें क्योंकि आपको दोनों जगहों पर समय देने की जरूरत है।
स्वयं के प्रति सच्चे रहें और अपने वास्तविक स्वरूप को अपनाएं। अपने मूल्यों, विश्वासों और इच्छाओं के प्रति सच्चाई रखें तभी लोग आपका सम्मान करेंगे