Aurangzeb ka Parichay- Aurangzeb Nayak or Khalnayak: औरंगजेब का पूरा नाम मोहिउद्दीन मुहम्मद औरंगजेब था। मुगल बादशाह औरंगज़ेब का इतिहास इतना घालमेल कर रखा है इतिहासकारों ने की ये हमेशा विवाद का विषय बना रहता है। गूगल बाबा के इस लेख मे तथ्य, तर्क और विवेक की कसौटी पर औरंगजेब के असल चरित्र के बारे मे जानने का प्रयास करेंगे, जानने का प्रयास करेंगे की क्या था औरंगजेब – Aurangzeb Nayak or Khalnayak?

कुछ इतिहासकारों, कुछ गीतकारों के Reference और कुछ ऐसे तथ्य जो सर्वविदित और सर्वमान्य हैं उसके आधार पर हम एक निष्कर्ष तक पहुचने का प्रयास करेंगे।

औरंगजेब का संक्षिप्त परिचय– आगे बढ्ने से पहले चलिये औरंगजेब के बारे मे छोटा सा परिचय जान लेते हैं। उसके जन्म, शिक्षा और शुरुवाती जीवन से संबन्धित कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ इस प्रकार हैं-

जन्म3 नवम्बर 1618
पिता और माँ का नामऔरंगजेब, शाहजहाँ और मुमताज़ महल की छठी सन्तान और तीसरा बेटा था.
जन्म स्थानदाहोद, जो की गुजरात मे है, औरंगजेब के जन्म के समय मुगल बादशाह जहगीर (यानि औरंगजेब के दादा) का शासन था। उसके पिता शाहजहाँ तब गुजरात के सूबेदार थे।
औरंगजेब की मृत्यु3 मार्च 1707 (उम्र 88) अहमदनगर, मुग़ल साम्राज्य। औरंगजेब की मृत्यु स्वाभाविक मृत्यु थी औरंगजेब का देहांत बीमारी के चलते हुआ।
औरंगजेब की बीबियाँ (औरंगजेब की चार बीवियाँ थी)दिलरस बानो
बेगमनवाब बाई
औरंगाबादी महल
उदयपुरी महल
संतान (बड़े से छोटे क्रम मे) (औरंगजेब की 6 बेटियाँ और 5 बेटे थे)ज़ेब-उन-निसा (बेटी)
मोहम्मद सुल्तान (बेटा)
ज़ीनत-उन-निसा बेगम (बेटी)
बहादुर शाह (बेटा)
बद्र-उन-निसा (बेटी)
ज़ुब्दत-उन-निसा(बेटी)
मोहम्मद आज़म शाह (बेटा)
सुल्तान मोहम्मद अकबर (बेटा)
मेहर-उन-निसा (बेटी)
मोहम्मद कामबख़्श (बेटा)
Aurangzeb का परिचय

औरंगजेब का राज्याभिषेक कब हुआ?

वैसे तो जितने भी मुगल बादशाह हुये उनमे शायद ही किसी का सम्मानपूर्वक राज्याभिषेक पिता के हाथो हुआ होगा, सभी मे सत्ता को हथियाने के लिए जोरदार संघर्ष हुआ। औरंगजेब ने भी सत्ता संघर्ष करके 13 जून 1659 को हासिल की थी।

औरंगजेब ने 40 वर्ष की आयु मे सत्ता पर कब्जा किया और लगभग 47 वर्ष तक शासन किया। औरंगजेब का शासन 31 जुलाई 1658 – 3 मार्च 1707 तक चला। औरंगजेब के अंतिम दिनों मे मराठा साम्राज्य काफी मजबूत हो चला था और वीर शिवाजी ने मुगल साम्राज्य की नाक मे दम कर रखा था। मराठाओ को दाबने के लिए सन 1683 में औरंगज़ेब स्वयं सेना लेकर दक्षिण गए। वह राजधानी से दूर रहते हुए, अपने शासन−काल के लगभग अंतिम 25 वर्ष तक उसी अभियान में रहा। 50 वर्ष तक शासन करने के बाद औरंगजेब की मृत्यु दक्षिण के अहमदनगर में 3 मार्च सन 1707 ई. में हो गई।

Aurangzeb का सत्ता के लिए संघर्ष:

इस बात पे किसी इतिहासकर को कोई संदेह नहीं है की औरंगजेब ने सत्ता हासिल करने के लिए अपनों का खून पानी की तरह बहाया। लेकिन कुछ बामपंथी इतिहासकर तथा विश्लेषक औरंगजेब को इसका दोषी न मानते हुये तर्क देते हैं की मुगल सल्तनत मे बड़े बेटे को उत्तराधिकारी बनाए जाने का कोई नियम नहीं था।

औरंगजेब कितने भाई थे?

औरंगजेब चार भाई थे– दारा शिकोह, शाह शुजा, औरंगजेब, मुराद बक्स और दो बहने जहांआरा और रोशनआरा.

दारा शिकोह (सबसे बड़ा भाई): दारा शिकोह अपने पिता का सबसे प्रिय पुत्र था. वास्तव में वही दिल्ली के सिंहासन का वास्तविक उत्तराधिकारी था. वह सभी धर्मों के सौहार्दपूर्ण सहअस्तित्व में विश्वास करता था. वह एक विद्वान और बौद्धिक इन्सान था. उसे फ़ारसी में संस्कृत के 50 उपनिषदों का अनुवाद करने का श्रेय दिया जाता है. उसके इस काम या संग्रह को सिर्र-ए-अकबर के नाम से जाना जाता है. इनमें सबसे प्रमुख मुकता उपनिषद है. यह सिद्धांत 108 उपनिषदों का संग्रह था.

शाह शुजा: शाह शुजा शाहजहाँ का दूसरा पुत्र था. वह  बंगाल और उड़ीसा का प्रभारी था. वह, आज के बांग्लादेश के ढाका में बारा कटरा नामक स्थल पर निवास करता था.

औरंगजेब: शाहजहाँ के शासनकाल मे औरगजेब को दक्कन का सूबेदार नियुक्त किया गया था। ये मिलिट्री माइंडसेट या यूं कहें कि निर्मम छवि का व्यक्ति था और बाकी सभी भाइयों से शातिर, युद्ध कौशल मे अधिक माहिर और चालबाज था। जिसके कारण पिता शाहजहाँ से औरंगजेब के रिश्ते थोड़े तल्ख थे, और बाद मे बहुत ज्यादा तल्ख हो गए।

मुराद बख्श : यह शाहजहां का सबसे छोटा पुत्र था और शाहजहां के शासन के दौरान गुजरात का गवर्नर था.

जहांआरा (औरगजेब की बहन): जहांआरा शाहजहाँ की सबसे प्रिय थी, इनको “पादशाह बेगम” की पदवी से नवाजा था शाहजहाँ ने। जहांआरा, दारा और औरंगजेब के उत्तराधिकार विवाद मे अपने बड़े भाई दारा की तरफ थी।

रोशनआरा (औरगजेब की बहन): रोशनारा, दारा और Aurangzeb के उत्तराधिकार विवाद मे औरंगजेब के पक्ष मे थी और समय समय पर भाइयों के षडयंत्रों के बारे मे आगाह भी किया करती थी।

औरंगजेब का सत्ता के लिए भाइयों और पिता से संघर्ष

दारा शिकोह, द मैन हू वुड बी किंग’ के लेखक अवीक चंदा ने लिखा है कि, दारा शिकोह शाहजहाँ के प्रिय होने के कारण हमेशा पिता के साथ राज दरबार मे ही रहा करते थे। और बादशाह शाहजहाँ, दारा को युद्ध के लिए भी कम भेजा करते थे, उसके विपरीत औरंगजेब ने युवावस्था मे कई जंगे लड़ी थी जिससे युद्ध मे उड़के दांव पेंच ज्यादा मजबूत थे।

शाहजहाँ 1657 मे गंभीर रूप से बीमार पड़ गए लोगों को उनका अन्त निकट लग रहा था। ऐसे में दारा शिकोह, शाह शुजा और औरंगज़ेब के बीच में सत्ता को पाने का संघर्ष आरम्भ हुआ। आखिरकार 29 मई 1658 को आगरा मे सूमागढ़ नाम की जगह पर दारा और औरंगजेब का भीषण युद्ध हुआ। जिसमे दारा शिकोह की हार हुई। औरंगजेब ने वर्ष 1658 की 29 मई को अपने भाई दारा शिकोह पर फतह करने की खुशी में इस जगह का नाम फतेहाबाद रखा था। यही फ़तेहाबाद आज उत्तर प्रदेश के एक जिले का नाम है।

क्यों हुई दारा शिकोह कि हार?

दारा और औरंगजेब के बीच शुरुआत में कांटे की टक्कर हुई. दारा शिकोह एक समय अपने भाई औंरगजेब पर भारी पड़ रहे थे. दरअसल युद्द के समय दारा हाथी पर बैठा था. खलीलउल्लाह खान ने (जो कि दारा का सलाहकार था) उन्हें सलाह दी कि वो हाथी से उतर कर घोड़े पर बैठें क्योंकि हाथी पर बैठने से आपको दुश्मन आसानी से निशाना बना सकते हैं. दारा ने सलाह मान ली और वो घोड़े पर सवार हो गया. यहीं से पूरे युद्ध का माहौल बदल गया. दारा के सैनिकों ने देखा कि हाथी के हौदे में कोई नहीं है. उन्हें लगा कि या तो दारा मारे जा चुके हैं नहीं तो पकड़े गए है. इस अफवाह के फैलने के बाद दारा के सैनिक युद्ध के रण से पीछे की तरफ जाने लगे. कुछ इतिहासकर मानते हैं कि खलीलउल्लाह खान औरंगजेब से मिल चुका था।

इस अफवाह के चलते दारा शिकोह को मैदान छोडकर भागना पड़ा, किन्तु औरंगजेब ने दारा को पकड़वा लिया और दारा के पुत्र के सामने ही दारा शिकोह का सिर धड़ से अलग कर दिया। Aurangzeb यहीं नहीं रुका, उसने अपने भाई दारा का कटा हुआ सिर अपने पिता शाहजहाँ को तोहफे के रूप मे आगरा के किले मे भिजवा दिया।

Aurangzeb ने जीत के बाद आगरा प्रस्थान किया, लेकिन शाहजहाँ से उसके लिए किले का द्वार नहीं खोला। औरंगजेब ने यमुना नदी से आगरा के किले मे जाने वाले पानी की सप्लाइ रोक दी और मजबूर होकर शाहजहाँ को द्वार खोलना पड़ा।

किले मे प्रवेश करते ही औरंगजेब ने अपने पिता को आगरा के किले मे कैद मे डलवा दिया। और आठ वर्ष तक कैद में रहने के बाद वर्ष 1666 में शाहजहां की मौत हो गई। अपनी शक्ति को मजबूत करने के लिए उसने अपने बाकी बचे दोनों भाइयों शाह शुजा और मुराद बक्स को विश्वासघात के आरोप लगाकर मरवा दिया, साथ ही एक भतीजे को भी मरवा दिया।

जबकि एक भाई मुराद बख्श ने शुरू में अपने भाई औरंगजेब को उत्तराधिकारी बनाने के पक्ष मे समर्थन दिया था, बाद में उन्हें औरंगज़ेब ने धोखा दिया और तीन साल जेल में बिताने के बाद मुराद को 1661 में मार डाला गया। दरअसल’ Aurangzeb भविष्य मे किसी भी प्रकार के विद्रोह से बचने के लिए ऐसा किया।

Was Aurangzeb Good or Bad?

कुछ लोग आज भी Aurangzeb को जिंदा पीर कहकर गुणगान करते हैं और एक बड़ा वर्ग औरंगजेब को दुर्दांत खलनायक मानता है। औरंगजेब अच्छा था या बुरा इसको दो तथ्यों और विचारधाराओं के आधार पर हम आसानी से तय कर सकते हैं। पहला मुगल परंपरा और दूसरा भारतीय परंपरा।

मुगल परिपेक्ष्य- के अनुसार यदि हम देखों तो Aurangzeb ने एक कठोर शासक के रूप मे कुछ भी गलत नहीं किया, क्यूंकी मुगलों मे अंतर्द्वंद बहुत था और रोज नए नए षड्यंत्र होते रहते थे। शाहजहाँ ने अपने पिता जहाँगीर के साथ भी कुछ कुछ वैसा ही वर्ताव किया था सत्ता प्राप्ति के लिए। इसलिए मुगलिया विरासत मे ये सब बहुत ही आम बातें थी।

और दूसरी तरफ Aurangzeb कट्टर इस्लामिक शासन मे विश्वास रखता था और अकबर काल मे लागू “जज़िया टैक्स” जो बाद मे बंद कर दिया गया था, Aurangzeb ने पुनः लागू करवाया। औरंगजेब को अच्छा मानने वाले लोग शायद इसीलिए Aurangzeb को पसंद करते हैं की वो सबसे ज्यादा कट्टर इस्लामिक मुगल शासक था, यही लोग दारा शिकोह को कोई तवज्जो नहीं देते।

भारतीय परिपेक्ष्य मे यदि हम औरंगजेब के अच्छे या बुरे होने का आकलन करेंगे तो आप अपने ही भाइयों का कटा सिर अपने बाप को तोहफे मे पेश करने वाले को कतई इंसान नहीं मान सकते, युद्ध, हार, जीत, अलग बात है लेकिन बेटे का कटा सिर बूढ़े बाप को भेजना किस प्रकार एक इंसान का कार्य हो सकता है? उसने ऐसा सिर्फ इसलिए किया ताकि उसकी दहशत कायम हो सके। आप स्वयं विचार कीजिये। हमारे भारतीय परंपरा मे इस प्रकार के जघन्य पारिवारिक खूनी संघर्ष की मिसाल नहीं मिलती।

इसके अलावा आगरा की जेल मे कैद पिता शाहजहाँ को Aurangzeb एक तय मात्रा मे पानी और भोजन देता था जिससे की वो तिल तिल कर मरने को विवश रहे। शाहजहाँ ने आलमगीर Aurangzeb से दरख्वास्त भिजवाई की कम से कम पानी की मात्रा थोड़ी बढ़वा दी जाए जिसको उसने नकार दिया। जिसपर शाहजहाँ ने लिखा की “तूमसे अच्छे तो वो काफिर हिन्दू हैं जो अपने मरे हुये माँ बाप को पानी अर्पित करते हैं तुमने तो मुझे जीते जी पानी से मोहताज कर दिया

अब आप Aurangzeb को अपने विवेक के आधार पर नायक या खलनायक सिद्ध करने के लिए स्वतंत्र हैं।

Kya aurangzeb kattar tha?

क्या औरंगजेब कट्टर था, हाँ इसमे किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए की औरंगजेब एक कट्टर इस्लामिक शासक था। वो मूर्ति पूजा का घोर विरोधी था और उसने बहुत से हिन्दू मंदिरों को तोड़ा, लूटा और बर्बाद करवा दिया। “Aurangzeb Ki Kattarta Ka Praman” नीचे दिये गए तथ्यों से निकाल सकते हैं-

Aurangzeb Dakkan कब्जा करने मे असफल रहा क्योंकि Aurangzeb से लोहा लेने के लिए सिक्ख और मराठा तैयार हो रहे थे। शिवाजी महराज ने अकेले अपनी मराठा सेना के दम हारे हुये 23 किले के बदले सैकड़ो किले वापस जीत लिए।

  • १. हिन्दुओ पर जज़िया टैक्स: अकबर ने हिंदुओं पर जज़िया कर लगाया था जिसे इतिहासकर बताते हैं की बाद मे बंद कर दिया गया था। औरंगजेब ने सत्ता हासिल करने के बाद पुनः उसे शुरू कर दिया और हिंदुओं के कई तीज त्योहारों पर कठोर प्रतिबंध लगा दिया।
  • . मंदिरों का विध्वंश : वो मूर्ति पूजा का घोर विरोधी था और उसने बहुत से हिन्दू मंदिरों को तोड़ा, लूटा और बर्बाद करवा दिया। कितने मंदिर तोड़े कितने लूटे इसका ठीक ठीक आकलन करना मुश्किल है क्यूंकी तत्कालीन इतिहासकर आलमगीर से वाकई भयभीत से और उसके खिलाफ लिखने वालों को वो बर्दाश्त नहीं करता था। बाद के कुछ इतिहासकारों ने इसमे जरूर लिखा है, जिसमे मथुरा, काशी विश्वनाथ सबसे महत्वपूर्ण हैं।
  • ३. सिखो पर अत्याचार : औरंगजेब ने 1675 में, हमारे नौवें सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर जी को सरेआम कत्ल कर दिया क्यूंकी उन्होने Aurangzeb की खिलाफत करके कश्मीरी पंडितों का साथ दिया था।
  • ४. जेबुन्निसा को कैद: उसकी कट्टरता का सबसे प्रत्यक्ष और बड़ा प्रमाण है जेबुन्निसा (औरंगजेब की पुत्री) का जीवन- जेबुन्निसा की शादी उसके चचेरे भाई सुलेमान शिकोह से बचपन में ही तय हो गई थी। सुलेमान शिकोह उसी दारा का पुत्र था। औरंगजेब ने ग्वालियर किले में सुलेमान की भी क्रूर तरीके से हत्या करवा दी थी. सुलेमान की मौत के बाद जेबुन्निसा की शादी नहीं हो पाई।
  • बाद मे जेबुन्निसा को औरंगजेब के वजीर के बेटे अकील खां से प्यारा होगया, इसपर Aurangzeb ने अकील खाँ को हाथियों से कुचलकर मरवा दिया और जेबुन्निसा को कैद मे डलवा दिया जहां वो दो दशक तक कैद मे रहकर दम तोड़ दिया।

इतिहास में कहा जाता है कि शिवाजी की वजह से ही औरंगजेब की दक्षिण नीति फेल हो गई। यह भी दिलचस्प है कि शिवाजी की धरती पर ही औरंगजेब की मौत हुई। अहमदनगर में तीन मार्च 1707 को औरंगजेब ने आखिरी सांसें लीं। उसकी कब्र औरंगाबाद (अब संभाजीनगर) के खुल्दाबाद में स्थित है।

क्या औरंगजेब हर रोज सवा मन जनेऊ जलाने के बाद ही भोजन करता था?

इस प्रश्न का उत्तर किसी इतिहास की किताब मे नहीं मिलेगा, लेकिन यदि आप विवेक को तर्क की कसौटी पर रखकर विचार करेंगे तो आपको उत्तर मिल जाएगा। मान लीजिये एक जनेऊ का वजन 15 से 20 ग्राम होगा और सवा मन का अर्थ (करीब सैंतीस किलो) 37×1000=37000 Gram ग्राम यानि (37000/15gm = 2466 ब्राह्मण प्रतिदिन।

औरगजेब का शासन करीब 48 साल रहा जिसमे से वह 20 साल अपने चरम पे था बाद मे सिखों और मराठाओ के उदय के बाद उसका शासन कमजोर पड़ गया। फिर भी 20 साल के शासन मे यदि 2466 ब्राह्मण (हिन्दू) प्रतिदिन मरते तो –

2466 x 365 = 9,00,090 x 20 साल = 1,80,01,800 (एक करोड़ अस्सी लाख एक हजार आठ सौ ब्राह्मणो का कत्ल रोजाना). जबकि विद्वानों के आकलन के अनुसार मुगल काल मे भारत की जनसंख्या करीब 100 million (यानि 10 करोड़ रही होगी)।

ये आकडा सही नहीं है ऐसे मे एक भी ब्राह्मण हिन्दू नहीं बच सकता था। लेकिन यहाँ पर आपको पुनः विवेक का इस्तेमाल करना है क्यूंकी हमारे देश मे किसी बात को कहने के लिए अक्सर उपमा दी जाती है जैसे “फला लड़का चीते की रफ्तार से दौड़ता हैं” अब चीते की एक्चुअल स्पीड और व्यक्ति की स्पीड से तुलना करोगे तो आपका दिमाग चकरा जाएगा।

अब आप इसपे क्या कहेंगे “तूने काजल लगाया दिन मे रात हो गई”? सिर्फ शब्दों को पकड़ोगे तो क्या ये संभव है की कोई काजल लगाए और दिन मे रात हो जाए? कोई कितना भी खूबसूरत हो ये असंभव है। ये बात का सही भाव पहुचाने का तरीका होता है इसलिए उप्मा दी जाती है। कुछ लोग हमारे देश मे तराजू लेकर जनेऊ तौलने का काम कर रहे हैं आजकल, अपने तर्क को सिद्ध करने के लिए।

सवा मन जनेऊ का मतलब, एक उपमा दी गई होगी उसकी क्रूरता के दर्शाने के लिए, न की आप जनेऊ का वजन लेकर तौलने बैठ जाओ, या फिर औरंगजेब रोज लोगों को मारने के बाद जनेऊ तुलवाता रहा होगा। और जनेऊ के वजन को ही आधार बनाकर हम सिद्ध करने की कोशिश करें तो भी यह करीब 1.8 करोड़ ही होता है 20 साल मे, जो औरंगजेब जैसे क्रूर शासक के लिए कोई बड़ी बात भी नहीं। जनेऊ का मतलब सिर्फ ब्राह्मण ही नहीं जो भी सनातन मे विश्वास रखता हो मूर्ति पूजा मे विश्वास रखता हो और जनेऊ धारण करता हो। ब्राह्मण ही मूलतः जनेऊ धारण करते थे ये भी पूर्ण रूप से सत्य नहीं है।

(कुछ लोग कह सकते हैं की औरंगजेब से 47 साल शासन किया लेकिन यहाँ पर बीस क्यूँ माना गया है क्योंकि – औरंगजेब कोई निर्विरोध शासन नहीं चला रहा था उसके सामने कठिन चुनौतियाँ भी थी। जैसे -एक तरफ मराठाओ ने औरंगजेब की दक्कन नीति फेल कर राखी थी, दूसरी तरफ सिख गुरुओं ने कभी मुगलों के सामने घुटने नहीं टेके और उधर बुलदेलखंड मे एक अपराजित योद्धा महाराजा छत्रसाल खड़ा था जिंहोने औरंगजेब को एकबार जीवनदान भी दिया था, औरंगजेब, छत्रसाल से बहुत डरता था)

औरंगजेब की बर्बरता का प्रमाण (Aurangzeb Nayak or Khalnayak)

औरंगजेब की क्रूरता का अंदाजा आप उसके अपने भाइयों और अपने पिता के साथ किए गए व्यवहार से लगा सकते हैं। बहुत से इतिहासकर औरंगजेब को यह कहकर न्यायोचित ठहराने का प्रयास करते हैं की उसके पिता और भाई भी औरंगजेब के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे थे और ये उसकी राजनीतिक मजबूरी थी। ठीक है! लेकिन इसके अलावा उसने अपनी बेटी जेबुन्निसा के साथ क्या किया वह भी आपको जानना चाहिए-

जैबुन्निसा (औरंगजेब की पुत्री): औरंगजेब की सबसे बड़ी पुत्री को इतिहासकारों ने किसी कोने मे छुपा दिया है क्यूंकी जेबुन्निसा का जीवन औरंगजेब की हकीकत को नंगा कर देता है, एक समय जेबुन्निसा औरंगजेब की सबसे चहेती हुआ करती थी। बाद मे औरंगजेब की कट्टरपंथी मानसिकता के कारण दोनों मे दूरियाँ बढ़ती गईं।

औरंगजेब की पुत्री बुंदेलखंड के महाराजा छ्त्रसाल की वीरता से काफी प्रभावित थी, छत्रसाल ने एकबार औरंगजेब को युद्ध मे पराजित करने के बाद जीवनदान भी दिया था। इतिहासकर मानते हैं की छत्रसाल की वीरता से प्रभावित जैबुन्निसा छत्रसाल से प्रेम करने लगी, लेकिन औरंगजेब ने फटकार लगाकर चुप करा दिया।

इतिहासकर मानते हैं कीमहाराजा छत्रसाल को पसंद करने के बाद जैबुन्निसा का दिल मराठा छत्रपति शिवाजी पर आया. शिवाजी के वीरता के किस्सों की कायल जैबुन्निसा तब शिवाजी की बहादुरी की कायल हो गई जब उसने मराठा छत्रपति शिवाजी आगरा में देखा. जैबुन्निसा ने अपने मोहब्बत का अर्ज़ी शिवाजी महाराज तक भिजवाई लेकिन शिवाजी ने उनके प्रस्ताव को मना कर दिया. दो बार प्यार में शिकस्त पाई जैबुन्निसा शायरी करने लगी.

1662 मे औरंगजेब को इलाज के लिए लाहौर जाना पड़ा उस समय उस समय उनके वज़ीर के पुत्र अकील खान राज़ी शहर के गवर्नर थे, उन्हे शायरी और मुसायरे से भी लगाव था। शायरी का शौक रखने वाली जैबुन्निसा की एक मुशायरे की महफिल मे अकील खान राज़ी और जैबुन्निसा की मुलाक़ात हुई और हमखयाल होने की वजह से बाद मे दोनों मे इश्क़ हो गया। लेकिन औरंगजेब की बेटी जैबुन्निसा को पिता की मर्जी के खिलाफ मोहब्बत करना भारी पड़ा।

अकील खान राज़ी को औरंगजेब ने हथियों के नीचे कुचलकर मरवा दिया और बेटी जैबुन्निसा को दिल्ली के सलीमगढ़ किले में कैद करवा दिया। 20 साल तक कैद में रहने के बाद उसने यहीं दम तोड़ दिया. इतिहासकारों के मुताबिक, दो दशक तक वह किले में कैद रही और शेर-ओ-शायरी से दिल बहलाती रही. जेबुन्निसा कैद मे रहकर कृष्ण भक्त भी बन गई थी।

इससे साफ जाहिर होता है की औरंगजेब एक तुच्छ मानसिकता वाला कट्टरपंथी इस्लामिक शासक था। इसके अलावा औरंगजेब ने अपने दुश्मन हिन्दू राजाओ और सिख गुरुओ और उनके पुत्रों के साथ क्या किया वह भी आपको जानना चाहिए-

सिख गुरु, तेग बहादुर सिंह जी1675 में गुरु तेग बहादुर पांच सिखों के साथ आनंदपुर से दिल्ली के लिए चल पड़े। औरंगजेब ने उन्हें रास्ते से ही पकड़ लिया और तीन-चार महीने तक कैद में रखकर अनेक अत्याचार किए लेकिन गुरु जी ने औरंगजेब की शर्त नहीं मानी और औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी सिर धढ़ से अलग कर दिया। चाँदनी चौक दिल्ली मे गुरुद्वारा शीशगंज इसकी गवाही मे बना है।
छत्रपति संभाजी महराज (शिवाजी महराज के पुत्र)औरंगजेब ने संभाजी महराज की जुबान कटवा दी, दोनों आंखे निकलवा ली, उनकी खाल को चिमटे से उखड़वाई, इतनी गंभीर यातनाओं के बाद भी, संभाजी ने धर्म परिवर्तन से इनकार कर दिया। अंत मे 11 मार्च 1689 को उनकी हत्या कर दी।   खुद औरंगजेब ने संभाजी से कहा था- मेरे चार बेटों में से अगर एक भी तुम्हारे जैसा होता तो कब का पूरा हिंदुस्तान मुगल सल्तनत का हिस्सा बन जाता।
साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह जीऔरंगजेब ने गुरु गोविंद सिंह जी को मजबूर करने के लिए 27 दिसम्बर सन्‌ 1704 को उनके दोनों छोटे साहिबजादे और जोरावर सिंह व फतेह सिंहजी को दीवारों में जिंदा चुनवा दिया था।
जब यह हाल गुरुजी को पता चला तो उन्होंने औरंगजेब को एक जफरनामा (विजय की चिट्ठी) लिखा, जिसमें उन्होंने औरगंजेब को चेतावनी दी कि तेरा साम्राज्य नष्ट करने के लिए खालसा पंथ तैयार हो गया है।   8 मई सन्‌ 1705 में ‘मुक्तसर’ नामक स्थान पर मुगलों से भयानक युद्ध हुआ, जिसमें गुरुजी की जीत हुई। अक्टूबर सन्‌ 1706 में गुरुजी दक्षिण में गए जहाँ पर उनको औरंगजेब की मृत्यु का पता लगा।
औरंगजेब के अत्याचार का प्रमाण

निष्कर्ष

उसकी बेइंतहा क्रूरता के अनगिनत किस्से किताबों में दर्ज हैं. हालांकि औरंगजेब को संत बताने वालों की कोई कमी नहीं है. औरंगजेब एक अत्याचारी मुगल शासक था जिसने हिंदुओं (खासकर कश्मीरी ब्राह्मणो, सिखो, मराठाओ जो Aurangzeb के धर्म परिवर्तन मे ज्यादा रुकावट बनें) पर अनगिनत अत्याचार किए। उसने अपने भाइयों, पिता और अपनी पुत्री जेबुन्निसा के साथ भी पशुवत व्यवहार किया और यातना दी।

औरंगजेब अत्याचारी था या नहीं इसका जवाब स्वयं तलाशने के लिए नीचे कुछ प्रश्न दिये गए हैं जिनपे इतिहासकारों को कोई If और but नहीं लगाएँ हैं। आप नीचे दिये गए प्रश्नो के उत्तर खुद से पूछिये यदि आपका उत्तर हाँ मे है तो आप सच जान चुके हैं-

  • क्या औरंगजेब ने अपने तीनों भाइयों की हत्या नहीं की?
  • क्या Aurangzeb ने अपने बड़े भाई दारा शिकोह का कटा सिर अपने बाप को तोहफे मे नहीं भेजा?
  • क्या छोटे भाई मुराद के अपने पक्ष मे होने बावजूद उसकी हत्या नहीं की?
  • क्या औरंगजेब ने अपने ही बाप को कैद मे यतनाए नहीं दी?
  • क्या औरंगजेब ने अपनी पुत्री जेबुन्निसा को औरंगजेब की मर्जी के विरुद्ध प्रेम करने की सजा के रूप मे 20 साल कैद नहीं रखा, और कैद मे ही जेबुन्निसा की मृत्यु हो गई?
  • क्या औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर जी का बेरहमी से कत्ल नहीं किया?
  • क्या औरंगजेब ने संभाजी महराज को क्रूर यतनाए -जैसे नाखून उखवाना, चमड़ी उतरवाना नहीं दी?
  • क्या इस क्रूर शासक ने गुरु गोविंद सिंह जी के दो छोटे साहिब्जादों को जिंदा दीवार मे नहीं चुनवाया इसलिए की उन्होने इस्लाम नहीं कबूल किया?

यदि ये सब बातें इतिहासकर सच मानते हैं तो “सवा मन जनेऊ” वाली कहावत भी सच है, और औरंगजेब एक क्रूर खलनायक था यह भी सच और सिद्ध है। जिन्हे भारतीय परंपरा मे विश्वास है वो कभी ऐसे व्यक्ति को अपना हीरो अपना आदर्श नहीं मान सकते।


References in Support:

  • यदुनाथ सरकार Article Published in Swaragya Magzine Portal- https://swarajyamag.com/culture/aurangzeb-a-tragic-figure-jadunath-sarkar-thought-so
  • Biography By Britannica – https://www.britannica.com/biography/Aurangzeb
  • Aurangzeb के दरबार से जुड़े लेखक साकी मुस्तैद खान की किताब ‘मआसिर-ए-आलमगीरी’ चैप्टर 12 -मंदिरों को ध्वस्त करने संबंधी आदेश की पुष्टि करता है।
  • संभाजी का जीवन परिचय विकिपीडिया – https://hi.wikipedia.org/wiki/सम्भाजी
  • विकिपीडिया- श्री गुरु तेगबहादुर – https://hi.wikipedia.org/wiki/गुरु_तेग़_बहादुर
  • Zeb-un-Nissa- https://en.wikipedia.org/wiki/Zeb-un-Nissa
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