हमने आप सबने Birbal ki Khichdi की Kahawat तो जरूर सुनी होगी, जब भी कोई व्यक्ति किसी काम को करने ने बहुत अधिक समय लेता है तो लोग बोल देते हैं “क्या बीरबल की खिचड़ी” बना रहे हो?

सबको मालूम है अकबर के नौ रत्नो मे से एक बीरबल थे जिनकी सूझबूझ का जबाव नहीं था। और अकबर बीरबल से जुड़े कई किस्से भी मशहूर हैं। उनही किस्सो मे से एक है बीरबल की खिचड़ी वाली कहानी, आज आपको पता चल जाएगा की आखिर “बीरबल की खिचड़ी (Birbal ki Khichdi) के पीछे की असली कहानी है क्या”?

तो चलिये आपको बताते हैं इस कहावत/मुहावरे के पीछे की दास्तान-

बीरबल की खिचड़ी की कहानी :

एक कहानी ऐसी है की एकबार अकबर सर्दियों की रात मे बीरबल के साथ बगीचे मे टहल रहा था। अकबर को बातों मे यूंही ख्याल आया की क्या कोई व्यक्ति महल के बाहर तालाब मे भरी सर्दी मे एक रात गुजार सकता है या नहीं?

बीरबल से मंत्रणा करने के बाद इस बात पे उसने घोषणा कर दी की जो भी व्यक्ति उस तालाब मे रात भर खड़ा रहेगा और सुबह जिंदा बच गया तो उसे इनाम मे 100 सोने की अशर्फी दी जाएगी।

घोषणा सुनकर एक गरीब व्यक्ति अशर्फ़ियों के लालच मे रात भर उस तलब के पानी मे खड़ा रहकर सुबह जब इनाम लेने पहुचा तो अकबर ने पूछा की वो यह कारनामा कैसे कर पाया? आखिर सर्द रात मे कैसे वह खड़ा रह गया ठंडे पानी मे?

“हुजूर मै महल के बुर्ज पर जलते मसाल को देखता रहा जिससे मुझे ठंड का एहसास कम हुआ और मै यह कारनामा कर पाया” उस व्यक्ति का मासूम जबाव था।

Raat me chikrag ko dekhta hua aadmi (birbal ki khichdi story)

अब अकबर बिदक गया की तूने चीटिंग (धोखेबाज़ी) की है तुझे उस हमारे महल के मसाल से गर्मी मिलती रही इसलिए तू इनाम का हकदार नहीं है।

बीरबल और बाकी दरबारियों को इस बात पे बुरा लगा लेकिन अकबर के सामने सभा मे कोई कुछ बोल नहीं सका। इससे खिन्न होकर बीरबल 2 दिन सभा मे नहीं आए।

अकबर ने संदेशा भिजवाया की बीरबल को बुलाकर लाया जाए। तो बीरबल ने कहलवाया की कह दो जहाँपनाह से की बीरबल अभी “बीरबल की खिचड़ी” बना रहे हैं।

अगले दिन फिर बीरबल को सभा मे न पाकर संदेशा भिजवाया। बीरबल ने फिर वही कहलवाया की “बीरबल अभी खिचड़ी बना रहे है” अब अकबर भन्ना गए उन्होने कहा की चलो चलकर देखते हैं कौन सी खिचड़ी बना रहा है बीरबल 4 दिन से।

वहाँ पहुचकर देखा की बांस की 4 बल्लियों जिनकी उचाई 20-30 फुट होगी उसके ऊपर एक हांडी राखी है और नीचे थोड़ी सी आग जल रही है।

अकबर ने कहा– ये क्या तमाशा लगा रखा है बीरबल ?

बीरबल ने उत्तर दिया- जहाँपनाह वो जो ऊपर हांडी देख रहे हैं आप, उस हांडी मे खिचड़ी पक रही है उसी मे व्यस्त हूँ थोड़ा सा।

अकबर को क्रोध आया– की मूर्ख हो क्या इतनी उचाई से उस हांडी को ताप कैसे पहुचेगा?

बीरबल ने कहा: जहाँपनाह ताप क्यू नहीं पहुचेगा? तब तालाब मे खड़े उस व्यक्ति को आपके किले की बुर्ज पे जलते छोटे से मसाल से गर्मी पहुच सकती है तो ये हांडी तो फिर भी आग से काफी करीब है, खिचड़ी जरूर बनेगी आप देखिएगा।

ऐसा उत्तर सुनकर अकबर को भूल का एहसास हुआ और वो काफी शर्मिंदा हुआ उसने उस व्यक्ति को बुलाकर 100 स्वर्ण अशर्फ़ियाँ इनाम के तौर पर दी।

“तब से ये कहावत प्रसिद्ध है “कौन सी बीरबल की खिचड़ी बना रहे हो” जो बन ही नहीं रही है” ।

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