पैसा कमाने और status बनाने के चक्कर मे व्यस्त हिन्दू, धर्म को न पढ़ता है न बच्चो को पढ़ाता है।
90% हिन्दू अपने महान धर्मग्रंथों को पूरे जीवन काल मे नहीं पढ़ते,
ज़्यादातर हिन्दू अपने धार्मिक संस्कारों से अपरिचित हैं और उनके पास किसी प्रश्न का तर्कित उत्तर नहीं होता।
वैदिक ग्रंथ ज़्यादातर देव भाषा संस्कृत मे हैं और संस्कृत आजकल कोई पढ़ता नहीं, इसलिए भी लोग अपने धर्म ग्रन्थों से दूर हैं।
हिन्दू बहुत ही भुलक्कड़ है वो थोड़े दिन पहले की घटनाएँ भूल जाता है , और वो इतिहास से भी कुछ नहीं सीखता.
"हिन्दू" अपने महान धर्म ग्रंथ रामचरित मानस और भगवत गीता को छोडकर किसी फर्जी बाबा का दिया हुआ फर्जी गुरुमंत्र जाप करना ज्यादा पसंद करते हैं
सनातन के आधार दो महान चरित्र राम और कृष्ण के जीवन का 10 प्रतिशत भी ज्ञान नहीं रखते है, जिसके कारण उन्हे कोई भी उल्टी सीधी पट्टी पढ़कर गुमराह कर सकता है।
हिन्दू न जाति के नाम पर संगठित है न धर्म के नाम पर, हाँ बात राजनीति की हो तो जाति के नाम पर जरूर इकट्ठा हो जाता है।