अयोध्या और आसपास के जिलों मे बोली जाती है अवधी कहावतें बड़ी बेहतरीन ढंग से समाज को आईना दिखाने का कम करती हैं
10 मजेदार अवधी कहावतें जो आपको हसने पर मजबूर कर देंगी
अर्थ : धोबी की बेटी को दोनों जगह कपड़े धोने पड़ते हैं, अतः वह न मायके और न ही ससुराल में सुखी रहती है।
१ . धोबी की बिटिया, न नैहरे सुख न ससुरे
अर्थ : ईश्वर की पूजा करने में कोई जात-पांत नहीं पूछता है, जो ईश्वर की पूजा करेगा, वही ईश्वर को प्राप्त करेगा।
२ . जात-पांत पूछै नहि कोई, हरि का भजै सो हरि का होई
अर्थ : किसी कार्य को पहले न करना, पर घूम-फिर कर वही कार्य करना पड़ जाए तो इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है।
३ . पांडे जी पछताएँगे, वही भौरिया खाएँगे
अर्थ : बनिया जान-पहचानवालों से बेईमानी करता है, जबकि ठग बिना जान-पहचानवाले लोगों को ठगता है।
४ .बनिया मारै जान को, ठग मारै अनजान को
अर्थ : जब कोई ध्यान देने वाला सम्मान करने वाला ही नहीं है कोई तो अच्छा काम करके भी क्या फायदा।
५. केहिकै करौं सिंगार, पिया मोर आंधर
अर्थ : घर का अंदाजा बाहरी बैठक से और भावी दुलहन का अंदाजा उसके भाई (साले) से लगाया जाता है।
६. घर देखै ओसारे से, दुल्हिन देखै सारे से
अर्थ : जब प्रदर्शन करना ही है, तो घूँघट (परदे) की क्या आवश्यकता।
७. नटनी बाँस पर चढ़ी तो अब घूँघट कैसा
अर्थ : जान-पहचान के बिना रिश्तेदारी का बहाना बना लेना। जैसे- ‘अनजाना गोड़ देखिन, कहिन मौसी पाय लागी’।
८. जान न पहचान, बड़ी बुआ सलाम
अर्थ : क्या हुआ खुद करके नहीं देखा, दूसरों को देख के जानकारी हासिल कर राखी है।
९. ब्याह नहीं किया, बरातें तो देखी हैं
अर्थ : शाब्दिक अर्थ कि बहुत प्यार दिखाने के लिए चचिया सास कंडे द्वारा आँसू पोछने लगीं। यानि भलाई करते समय भी ईर्ष्यालु व्यक्ति कष्ट देता है।
१०. बड़ी मोहानी पितिया सास, कंडा लै के पोछैं आस
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इस तरह की
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