Sanatan Dharm me Parikrama Ka Mahatva: गूगल बाबा के इस लेख मे हम जानने का प्रयास करेंगे की परिक्रमा क्या होती है और हिन्दू धर्म के मानने वाले लोग परिक्रमा क्यों करते हैं?

धर्म के मामलों मे कई बातें लोग सदियों से कुछ बातें मानते हुये चले आ रहे हैं जिनका कोई सटीक आधार उसके पीछे का विज्ञान बहुत कम लोगों को मालूम होता है। कुछ बातें हमे किस्सो कहानियों के माध्यम से ज्ञात हैं और बहुत सी बातें हमारी परम्पराओं मे सम्मलित हैं जिनपे लोग प्रश्न करना उचित नहीं समझते।

हालाँकि सनातन धर्म इस पृथ्वी का सबसे पुरानी व्यवस्था है और सबसे पुरानी परम्पराओं का निर्वहन करते हुये आए हैं इस धर्म को मानने वाले लोग। ऐसी ही एक परंपरा है ईश्वर की प्रतिमा या मंदिर के इर्द गिर्द फेरे लगाने की अर्थात परिक्रमा करने की।

तो क्या Sanatan Dharm Me Parikrama करने के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण भी है क्या?

यदि आप सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) मानने वाले हैं तो आपने कभी न कभी परिक्रमा जरूर की होगी, जैसे किसी मंदिर की, किसी वृक्ष की या फिर शादी के समय अग्नि की परिक्रमा।

दरअसल इसके पीछे एक गहरा विज्ञान छिपा है। इसके पीछे हमारे ऋषियों और महर्षियों के ब्रह्मांड के बारे मे ज्ञान और अनुभव है। तो चलिये समझते हैं की वो क्या लॉजिक है जिससे की Sanatan Dharm me Parikrama का इतना महत्व है –

1. दोस्तों हम देखते हैं की इस ब्रह्मांड मे हर एक कण किसी न किसी अपने से आकार मे बड़ी या बड़े कण या वस्तु की परिक्रमा कर रही है। जैसे पृथ्वी सूर्य के चंद्रमा पृथ्वी के, सूर्य आकाशगंगा के चारो वोर और आकाशगंगा वर्गो क्लस्टर के चारो तरफ परिक्रमा कर रहे हैं। ब्रह्मांड मे मौजूद हर ग्रह पिंड किसी न किसी अपने से बड़े पिंड की परिक्रमा कर रहा है ये विज्ञान द्वारा प्रमाणित है।

2. परिक्रमा करने के लिए शर्त ये है की परिक्रमा करने वाली वस्तु अपने से ज्यादा द्रव्यमान वाले वस्तु की परिक्रमा करती है अर्थात अपने से बड़े द्रव्यमान के चारो तरफ चक्कर लगाती है।

3. विज्ञान के अनुसार बड़े द्रव्यमान वाली वस्तु या पिंड अपने से छोटे द्रव्यमान वाली वस्तु को स्थायित्व प्रदान करती है द्रव्यमान मे अंतर ज्यादा न हो तो छोटी चीज बाहरी किसी बाहरी बिन्दु की परिक्रमा करने लग सकती है जिससे संघर्ष की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। जैसे की सूर्य का द्रव्यमान सोलर सिस्टम मे मौजूद सभी ग्रहों के द्रव्यमान से बहुत ज्यादा है और उसके कारण सभी ग्रह अपनी अपनी कक्षा से रहकर सूर्य की परिक्रमा करते रहते हैं।

4.बड़े द्रव्यमान वाली चीज को अपने से छोटे द्रव्यमान वाली वस्तु की ज़िम्मेदारी लेते हुये उसे स्थायित्व प्रदान करती है। जैसे सभी नौ ग्रहों की ज़िम्मेदारी सूर्य पर टिकी है चंद्रमा की ज़िम्मेदारी पृथ्वी पर निर्भर।

5. उसी प्रकार सनातन धर्म मे लोग अपने ईष्ट की परिक्रमा करते हैं तो उसे उच्च सम्मान देते हुये अपने को तुच्छ रूप मानकर अपने अस्तित्व और भलाई की ज़िम्मेदारी अपने परमात्मा को सौंप देते हैं क्यूंकी आत्मा परमात्मा का ही अंश है इसलिए इसलिए ज़िम्मेदारी परमात्मा ही उठा सकते हैं।

6. सनातन धर्म मे छोटी से छोटी बातों एक बहुत ही गूढ अर्थ छिपे हुये हैं जिसे ज़्यादातर लोग अज्ञानवश समझ नहीं पाते, कालांतर मे मुगलो के आक्रमण के पश्चात नालंदा जैसे विश्वविद्यालय मे रखी पुस्तकें और पाण्डुलिपियों के नष्ट हो जाने का पश्चात हम अंधकार मे चले गए। और आज लोगों के पास अपनी परम्पराओं को justify करने के लिए पर्याप्त तर्क नहीं हैं।

सनातन मे समय के साथ कुछ कुरीतियाँ जरूर पैदा हुईं है लेकिन इसकी ज़्यादातर परम्पराओं के पीछे गूढ़ वैज्ञानिक कारण मौजूद हैं, हमे कुरीतियों को दूर करते हुये हमे निरंतर सत्य की खोज करते रहना चाहिए। क्यूंकी सनातन धर्म मे प्रश्न पूछना और उनके उत्तर खोजना ये परंपरा सदियों से चली आ रही है, और बिना प्रश्न किए हम सत्य को नहीं जान सकते है। जैसे अर्जुन ने भगवान कृष्ण से तब तक प्रश्न पूछे जब तक उन्हे जीवन के सारे रहस्य श्री कृष्ण ने समझा नहीं दिया।


Also Read Articles:

Share.

Googal Baba Blog is all about to share useful info and unique content to its readers in hindi and english. Fascinating facts and answers to all the burning questions on the hottest trending topics. From "How to train your dragon" to "Baba ji ka Thullu" and everything in between, this blog has got you covered. With a dash of humor and a sprinkle of creativity, Baba G. make learning fun and informative. So come on over and join the fun, because you never know what crazy facts and hilarious tidbits you might learn!

Leave A Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Exit mobile version