Samuel Evans Stokes: ये मात्र एक हिन्दी कहानी ही नहीं बल्कि एक सच्ची घटना है। ये एक ईसाई मिसनरी की कथा है जो भारत आया तो था इसाइयत कर प्रचार प्रसार करने लेकिन वह हिन्दू धर्म और संस्कृति से इतना प्रभावित हुआ की वह स्वयं हिन्दू धर्म को अंगीकार कर लिए। चलिये जानते हैं Samuel Evans Stokes की कहानी हिन्दी मे –

Samuel Evans Stokes का परिचय

आगे बढ्ने से पहले Samuel Evans Stokes का एक संक्षित परिचय जान लेते हैं।

असली नामSamuel Evans Stokes (भारत आने से पहले) सत्यानंद स्टोक्स (भारत आने के बाद)
नागरिकता (Nationality)अमेरिकन
जन्म (Born)16 August 1882
Philadelphia, Pennsylvania, United States of America
मृत्यु (Death)14 May 1946 (aged 63) कोटगढ़, शिमला, भारत
माता पिता (Parents)Father – Samuel Evans Stokes Sr.
Mother – Florence Spencer
पत्नी (Wife)Priyadevi Stokes (Born Agnes Benjamin) (सैमुएल इवान स्टोक्स ने भारतीय लड़की से शादी की थी जो की शिमला के कोटगढ़ की रहने वाली एक गरीब परिवार से थी)
संतान (Children)Samuel Evans Stokes यानि सत्यानंद स्टोक्स के तीन पुत्र हुये – Pritam Stokes, Lal Chand Stokes, Prem Stokes और दो पुत्रियाँ हुईं जिनका नाम – Satyavati Stokes, Tara Stokes है
Satyanand Stokes and His Wife

Samuel Evans Stokes के Styanand Stokes बनने की कहानी

Satyanand Stoked (Samuel Evans Stokes) Chilhood pic

सैमुअल इवांस स्टोक्स का जन्म 6 अगस्त, 1882 को फिलाडेल्फिया के क्वेकर उपनगर, जर्मनटाउन में हुआ था। 1900 में, उन्होंने न्यूयॉर्क राज्य में मोहेगन लेक मिलिट्री अकादमी से डिप्लोमा प्राप्त किया और कॉर्नेल विश्वविद्यालय चले गए। सैमुअल स्टोक्स YMCA (Young Men’s Christian Association) के बहुत सक्रिय सदस्य थे और उसने इस संस्था से जुड़कर बहुत से कार्य किए।

भारत जब गुलाम था अंग्रेजों के उस दौर की बात है। मिशनरी मिशन के तहत Samuel Evans Stokes को 1904 मे भारत भेजा गया और यहाँ पर वो सेवा की आड़ मे भारतीय लोगों को ईसाई बनाने के मिशन पर लग गया। अब ये बात कोई छुपी हुई नहीं रही की ईसाई मिशनरियाँ सेवा की ओट लेकर सिर्फ धर्म परिवर्तन का मकसद रखती थी।

Samuel Evans Stokes मिशन के तहत शिमला पहुच गए और वहाँ पर काफी लोगों को ईसाई मजहब मे कन्वर्ट करवाने मे सफल रहे। इसी दौरान हिमाचल मे भयानक प्लेग फैला। चूंकि यह एक छुवाछूत की बीमारी थी जिसके कारण लोग प्लेग होने पर लोग अपने सगे संबंधियों को छोडकर चले जाते थे ताकि उनकी जान बची रहे।

पंडित रुलिया राम से मुलाक़ात

ऐसे मे Samuel Evans Stokes की मुलाक़ात एक निःस्वार्थ समाज सेवी पंडित रुलिया राम से हुई। और उसने देखा एक व्यक्ति जो प्लेग से पीड़ित है उस की मदद पंडित रुलिया राम कर रहे हैं पीड़ित के गले मे एक गांठ दिख रही है जिसमे असहनीय दर्द हो रहा था।

पंडित रुलिया राम ने एक कपड़े को उस मवाद से भरे गांठ पर रखकर अपने दांतों से उस गांठ को अलग कर दिया उसके शरीर से, यह देखकर Samuel Evans Stokes दंग रह गया। की ऐसे दौर मे लोग अपने अपनों को छोडकर भाग रहे हैं वैसे मे ये अजनबी किसी की मदद के लिए इस हद तक जाकर सेवा कर रहा है। उसे एहसास हुआ की वह जो सेवा कर रहा है उसके पीछे धर्म परिवर्तन की मंशा है। ये तो fraud है मै जो कर रहा हूँ। और ये व्यक्ति ऐसी सेवा कर रहा है जिससे उसकी खुद की जान भी जा सकती है।

उसने पंडित रुलिया राम से पूछा की ये कैसा सिद्धान्त है जो आपको ऐसे प्रेरणा दे रहा है की दूसरे की सेवा करने के लिए आप उसका मवाब भी मुह से साफ करके आपको संतोष प्राप्त हो रहा है। इतना निःस्वार्थ सेवा भाव का क्या राज है?

पंडित रुलिया राम ने Samuel Evans Stokes को हिन्दू धर्म के सिद्धान्त के बारे मे बताया, उसे “सर्वे भवन्तु सुखिना” और मानवता की सेवा का भाव समझाया। Samuel Evans Stokes ने हिन्दू धर्म के बारे मे और जानने की इच्छा जाहीर की- पंडित रुलिया राम ने – samuel को “सत्यार्थ प्रकाश” नाम की पुस्तक दी और कहा हिन्दू धर्म का पूरा सार आपको इसमे मिल जाएगा।

Samuel Evans Stokes बन गए Satyanand Stokes

सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने के Samuel Evans Stokes का इतना हृदय परिवर्तन हो गया की वह आज़ादी के लड़ाई मे शामिल हो गए, इससे छिड़कर अंग्रेजों मे उन्हे जेल मे डाल दिया। जेल से निकलकर Samuel Evans Stokes ने पुनः पंडित रुलिया राम से मुलाक़ात की और हिन्दू सनातन धर्म को अपनाने की बात काही।

चूंकि “सत्यार्थ प्रकाश” पढ़कर उनका हृदय परिवर्तन हुआ तो उन्होने अपना नाम “सत्यानंद स्टोक्स” रख लिया। सत्यानंद ने हिमाचल के कोटगढ़ की रहने वाली एक गरीब लड़की से साथ विवाह किया और उसको गरीबी से बाहर निकाला।

“Harmony Hall” Satyanand Stokes का मकान (शिमला मे)

Samuel Evans Stokes पर हिन्दू धर्म का गहरा प्रभाव

सैमुअल इवांस स्टोक्स 22 वर्ष की आयु मे एक अमेरिकी मिशनरी बनकर, 1904 में ईसा मसीह का संदेश फैलाने और पहाड़ी लोगों की मदद करने के उद्देश्य से कोटगढ़ में आये थे। उन्होंने दो साल तक हिमाचल प्रदेश की शिमला पहाड़ियों में स्थित कुष्ठरोग आश्रम में काम किया। और फिर उन्हे एहसास हो गया की वो जो कर रहे हैं असल मे वह सेवा नहीं एक प्रकार का फ़्राड है वास्तविक सेवा तो वह है जो पंडित रुलिया राम जैसे लोग कर रहे हैं इसके बाद मिशनरी जीवन शैली से उनका मोहभंग हो गया और उन्होंने मिशनरी संगठनों से नाता तोड़ लिया और सभी भौतिक सुख-सुविधाएं त्यागकर एक प्रकार से साधु बन गए और कुछ समय के लिए एक गुफा में रहने लगे।

सैमुएल इवान स्टोक्स ने करवाया हिन्दू मंदिर और यज्ञशाला का निर्माण

1937 में, सत्यानंद ने अपने घर ‘हार्मनी हॉल’ के पास एक मंदिर बनवाया जो ‘परमज्योति मंदिर या शाश्वत प्रकाश के मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। यह एक पक्की छत वाला मंदिर है जिसमें ‘हवन कुंड’ है और यह भगवद गीता और उपनिषद की शिक्षाओं से प्रेरित है। एक अनुभवी भारतीय बिजनेस टाइकून, किशोर बिड़ला ने स्टोक्स को इस मंदिर के निर्माण के लिए प्रेरित करने के लिए 25,000 रुपये की आर्थिक सहायता की थी।

यह मंदिर और यज्ञशाला आज भी मौजूद है कई टुरिस्ट यहाँ हर साल आते हैं। इस यज्ञशाला मे उपनिषदों के श्लोक उकेरे गए हैं।

‘परमज्योति मंदिर- यज्ञशाला’

Mahatma Gandhi ने की प्रशंसा

‘यंग इंडिया’ के एक साप्ताहिक अखबार में सत्यानंद स्टोक्स के असाधारण काम को “एडॉप्शन का पुरस्कार” शीर्षक से पहले पन्ने पर प्रकाशित करके स्वीकार किया गया। गांधी ने सत्यानंद स्टोक्स से कहा: “हमारे बौद्धिक मतभेदों के बावजूद, हमारे दिल हमेशा एक रहे हैं और रहेंगे”

बहुत से लोगों ने सत्यानंद स्टोक्स के बारे में नहीं सुना है, भले ही उनका भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक अनूठा इतिहास है। हालाँकि, उन्हें आज भी हिमाचल के लोग सेब की खेती के आविष्कारक के रूप में याद करते हैं, लेकिन भारत की आज़ादी के लिए उनके संघर्ष को व्यापक रूप से नहीं जाना जाता है। वह एक आदर्शवादी, विद्रोही, दूरदर्शी, समाज सुधारक और राजनीतिक कार्यकर्ता थे।

14 मई, 1946 को सत्यानंद स्टोक्स की मृत्यु हो गई। उन्होंने अपना पूरा जीवन कोटगढ़, शिमला के लोगों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए निस्वार्थ रूप से समर्पित कर दिया।

Note: यह कहानी मात्र एक कहानी नहीं बल्कि सत्यानंद स्टोक्स की जीवनी है। इससे आप निःस्वार्थ सेवा भावना की प्रेरणा ले सकते हैं। हम सभी को बेहतर व्यक्ति बनने के लिए “सत्यार्थ प्रकाश” और “श्रीमद भगवत गीता” जरूर पढ़नी चाहिए।

Share.

Googal Baba Blog is all about to share useful info and unique content to its readers in hindi and english. Fascinating facts and answers to all the burning questions on the hottest trending topics. From "How to train your dragon" to "Baba ji ka Thullu" and everything in between, this blog has got you covered. With a dash of humor and a sprinkle of creativity, Baba G. make learning fun and informative. So come on over and join the fun, because you never know what crazy facts and hilarious tidbits you might learn!

Leave A Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Exit mobile version