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    Home»Dharm»Samudra Manthan Story: सागर मंथन से प्राप्त रत्न और आध्यात्मिक महत्व
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    Samudra Manthan Story: सागर मंथन से प्राप्त रत्न और आध्यात्मिक महत्व

    RJ YaduvanshiBy RJ YaduvanshiNo Comments7 Mins Read
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    सागर मंथन से प्राप्त रत्न और आध्यात्मिक महत्व
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    Samudra Manthan Story: समुद्र मंथन स्टोरी हिन्दू धर्म मे एक महान घटना के रूप मे जानी और मानी जाती है। समुद्र मंथन को सागर मंथन, क्षीर सागर मंथन और अमृत मंथन के नाम से भी जाना जाता है। ये एक बहुत ही कठिन कार्य होने के कारण लोग आज भी समुन्द्र मंथन को एक उपमा के तौर पर असंभव जैसे कार्यों के लिए प्रयोग करते हैं। GoogalBaba आपको इस लेख Samudra Manthan Story (Churning of Sea Story in Hindi) मे आपको न केवल समुद्र मंथन की कहानी बताएँगे बल्कि आपको इसके पीछे छिपे आध्यात्मिक रहस्य के बारे मे भी बताएँगे।

    Table of Contents

    • Samudra Manthan Story (सागर मंथन की कहानी)
      • असुरों के हाथों देवताओं की हार
      • Samudra Manthan Process
      • समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश के लिए देव दानवों मे युद्ध
    • Samudra Manthan Story Ka Adhyatmik Rahasya
      • समुद्र मंथन की कहानी क्या संदेश देती है?
        • हलाहल विष
        • कामधेनु गाय
        • उच्चैश्रवा घोड़ा
        • ऐरावत हाथी
        • कौस्तुभ मणि
        • कल्पवृक्ष
        • अप्सरा रंभा
        • देवी लक्ष्मी
        • वारुणी
        • चंद्रमा
        • पारिजात वृक्ष
        • पांचजन्य शंख
        • धन्वन्तरी और अमृत कलश
    • निष्कर्ष
    • Samudra Manthan se jude Question Answers

    Samudra Manthan Story (सागर मंथन की कहानी)

    हिन्दू धर्म शास्त्रों खासकर वेदों मे स्वर्ग लोग के राजा देवराज इन्द्र के बारे मे कहा गया है की पृथ्वी पर वर्षा उनकी ही आज्ञा से होती है। एकबार देवराज इन्द्र ऋषि दुर्वासा के आश्रम पहुँच गए। दुर्वाषा ऋषि सिद्ध मुनि थे जिनको उनके कोर्धी स्वभाव के लिए जाना जाता है।

    इन्द्र देव के आगमन पर ऋषि दुर्वासा ने देवराज का स्वागत एक खास पुष्प माला पहनाकर किया, इन्द्र देव ने माला स्वीकार करने के बाद उसे निकालकर जमीन पर रख दिया। भेंट की गई माला को जमीन पर पड़ा देखकर ऋषि दुर्वासा को क्रोध आ गया क्यूंकी वह कोई साधारण माला नहीं बल्कि सौभाग्य की देवी श्री का आशीर्वाद स्वरूप था।

    ऐसी माला का तिरस्कार समझकर ऋषि ने इन्द्र को श्राप दे दिया की – जाओ देवराज तुम्हें जिस शक्ति का अहंकार है तुम्हारे साथ साथ सभी देवताओं की सारी शक्ति, सामर्थ्य और ऐश्वर्य शून्य हो जाएगा।

    यह भी पढ़ें: Ram Charit Manas by Tulsidas-A Complete Index of Ramayana by Goswami Tulsidas

    असुरों के हाथों देवताओं की हार

    महर्षि दुर्वासा के श्राप के बाद देवता शक्तिहीन हो गए और इन्द्र देव दानवों से परास्त होते चले गए। इस प्रकार पूरे ब्रह्मांड पर असुर राजा बाली का अधिकार हो गया। असुरों से युद्ध हारने के बाद इन्द्र समेत सभी देवता भगवान विष्णु जी के पास गए और उनसे सहायता करने का आग्रह किया।

    भगवान विष्णु जी ने देवताओं को बताया की क्षीर सागर (Milky Ocean) के तल मे अमृत कलश है जिसको पीने से देवताओं की खोई हुई शक्ति वापस मिल जाएगी और वो अमर हो जाएंगे। लेकिन उसके लिए Samudra Manthan यानि क्षीर सागर मंथन करना होगा।

    कमजोर हो चुके देवताओं के पास इतना सामर्थ्य नहीं बचा था की वो अकेले समुद्र मंथन कर सकें, इसलिए उन्होने असुरों से इस समुद्र मंथन की प्रक्रिया मे भाग लेने प्रस्ताव रखा। और अमृत को देवताओं और असुरों मे बराबर बाटने की बात कही जिसपर दानव राज बाली भी सहमत हो गया।

    Samudra Manthan Process

    समुद्र मंथन विशालकाय और मुश्किल कार्य था। अमृत मंथन के लिए मंदार पर्वत को मथनी की तरह का उपयोग किया गया और विशालकाय पर्वत को समुद्र मे मथनी की तरह घुमाने के लिए नाग राज वासुकी को रस्सी की तरह उपयोग किया गया।

    चूंकि राक्षसों पर नागराज वासुकी के विष का प्रभाव नहीं पड़ रहा था इसलिए असुरों को फ़न की तरह और देवताओं को नागराज वासुकी की पूछ की तरफ लगाया गया। मंथन शुरू होते ही मंदार पर्वत समुद्र मे समाने लगा इसको रोकने के भगवान विष्णु को कछुए का धारण करके पर्वत को अपनी पीठ पर धारण करना पड़ा तब जाकर मंथन प्रारम्भ हो सका।

    समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश के लिए देव दानवों मे युद्ध

    Samudra Manthan Process से कुल 14 चीजें निकली जिसके बारे मे आगे जानेंगे, सबसे अंत मे निकला अमृत कलश जिसके लिए दानवों और देवताओं मे पहले पीने के लिए झड़प हो गई। इसके बाद भगवान विष्णु जी वाहन गरुड़ अमृत कलश लेकर उड़ गए। माना जाता है की इस छीनाझपटी मे अमृत (Nector) की कुछ बूंदे प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक मे गिरीं और इन्हीं चारों स्थानों पर हर 12 वर्ष मे कुम्भ मेला लगता है।

    अब होता ये है की किसी तरह एक असुर के हाथ मे अमृत कलश लग जाता है, सभी देवता भगवान विष्णु की तरफ प्रार्थना भाव से देखने लगते हैं इस पर विष्णु जी ने एक सुंदर मोहिनी स्त्री का रूप धारण करके असुरों से सामने प्रकट हो गए। मोहिनी को देखकर असुर उसे प्राप्त करके के लिए बेचैन हो गए।

    मोहिनी रूप मे विष्णु जी से अमृत कलश अपने हाथ मे ले लिया और कहा की सभी वो अमृत पिलाएंगी। मोहिनी ने पहले देवताओं को अमृत पिलाना शुरू किया। राहू नाम का एक असुर काफी तीष्ण बुद्धि वाला था उसने खुद को देव बनाकर देवताओं की लाइन मे बैठकर अमृत पीने लगा।

    इसके पहले की उसके गले मे कुछ बूंदे अमृत की जाती, सूर्य देवता और चन्द्र देवता ने पहचान लिया, और भगवान विष्णु ने सुदर्शन से राहू के सिर धड़ से अलग कर दिया। परंतु कुछ बूंदे गले मे प्रवेश करने से शरीर का दोनों भाग अलग अलग अमर हो गया जिसमे सिर वाला भाग राहू और धड़ वाला भाग केतू नाम से जाना जाता है। तब तक असुरों को पता चल चुका था की मोहिनी कोई और नहीं विष्णु हैं लेकिन तब तक अमृत सभी देवता पीकर वापस शक्ति प्राप्त हो चुके थे और असुरों को हराकर वापस अपना अस्तित्व हासिल कर लिया।

    Samudra Manthan Story Ka Adhyatmik Rahasya

    आपको ऊपर समुद्र मंथन की कहानी पढ़कर थोड़ा आश्चर्य हुआ होगा की ये सिर्फ एक कथा नहीं बल्कि कोई गूढ रहस्य को समझाने का प्रयास है। लेखन परंपरा से पहले सनातन धर्म मे श्रुति परंपरा द्वारा ज्ञान को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी मे ट्रान्सफर किया जाता रहा है। किसी मर्म को हम आसानी से समझ जाएँ इसलिए कहानी सर्वश्रेष्ठ माध्यम हो सकती है इसलिए सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) मे कथाओं का बड़ा महत्व है।

    तो चलिये जानते हैं विद्वानों के अनुसार समुद्र मंथन कथा का आध्यात्मिक रहस्य क्या है-

    समुद्र मंथन की कहानी क्या संदेश देती है?

    जब किसी मे अहंकार हावी हो जाता है तो वह अपनी वास्तविक शक्ति खो देता है, जैसे इन्द्र देव ने अहंकार वश महर्षि द्वारा भेंट की गई माला को साधारण समझकर जमीन पर गिरा दिया और उन्हे अपना वैभव और शक्ति खोना पड़ा।

    ऐसी परिस्थिति मे आत्ममंथन करके पुनः खोया हुआ अस्तित्व प्राप्त किया जा सकता है। देवताओं और दानवों ने मिलकर सागर मंथन किया , इस कथा का संदेश यह है की “मनुष्य को बुराइयों को भूलकर आत्मचिंतन और मंथन करके अच्छाइयों को अपनाना चाहिए”

    Samudra Manthan
    Samudra Manthan Kahani ka Sandesh

    हलाहल विष

    Samudra Manthan से सबसे पहले हलाहल विष निकलता है जिसे शिव जी ने शृष्टि की रक्षा के लिए अपने गले मे धरण कर लिया। जब इंसान आत्ममंथन करता है तो सबसे पहले बुराइयाँ बाहर आती हैं बुरे विचार आते हैं और उन्हे हमे अपने अंदर नहीं उतरने देना है।

    Samudra Manthan
    कालकूट विष- Samudra Manthan से सबसे पहले विष निकलता है।

    कामधेनु गाय

    कामधेनु नाम की पवित्र गाय दूसरे नंबर पर प्राप्त हुई जिसकी खास बात यह थी की ये आपकी इच्छानुसार भोजन की व्यवस्था कर सकती थी, जिसे ऋषि मुनियों को सौंप दिया गया जिससे उन्हे यज्ञ और धर्म कार्यों मे सहायता प्राप्त हो सके। मन से बुरे विचार निकाल जाने पर मन कामधेनु की तरह शुद्ध हो जाता है और आपका मन धर्म कर्म मे लगने लगता है।

    Samudra Manthan
    चमत्कारी कामधेनु गाय- Samudra Manthan से निकालने वाला दूसरा रत्न थी।

    उच्चैश्रवा घोड़ा

    Ucchaishrawa Ghoda- Samudra Manthan se chauthe number par nikla

    ऐरावत हाथी

    Samudra Manthan

    कौस्तुभ मणि

    Samudra Manthan

    कल्पवृक्ष

    Samudra Manthan

    अप्सरा रंभा

    Samudra Manthan

    देवी लक्ष्मी

    Samudra Manthan- से आठवें नंबर पर देवी लक्ष्मी प्रकट हुईं जिसके लिए दानव और देवता संघर्ष करने लगे। लेकिन देवी लक्ष्मी ने विष्णु जी का वरण कर लिया। इसका संदेश यह है की लक्ष्मी हमेशा कर्मयोगी और शक्तिशाली व्यक्ति के पास विराजमान होती हैं।

    Samudra Manthan

    वारुणी

    वारुणी यानि की मदिरा, नौवें नंबर पर निकली जिसे दानवों ने ग्रहण किया, अर्थात शराब या मदिरा हमेशा बुराई की तरफ ले जाती है।

    Samudra Manthan

    चंद्रमा

    Samudra Manthan

    पारिजात वृक्ष

    Samudra Manthan

    पांचजन्य शंख

    Samudra Manthan

    धन्वन्तरी और अमृत कलश

    Samudra Manthan

    निष्कर्ष

    सनातन धर्म मे अनेक कथाएँ प्रचलित हैं और इनके पीछे काफी गूढ आध्यात्मिक रहस्य छिपे हुये हैं। Sagar Manthan का आध्यात्मिक तात्पर्य यह है की- मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति के लिए सर्वप्रथम आत्ममंथन प्रक्रिया से गुजरना होता है, और जैसे जैसे हम अपनी बुराइयों को त्याग करके जाते हैं हमे ईश्वर की कृपा रूपी अमृत की प्राप्ति होती है।

    Samudra Manthan se jude Question Answers

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    RJ Yaduvanshi
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    RJ Yaduvanshi, a prolific writer with a passion for history, sociology, and socio-political matters, has been captivating readers for the past 12 years. His insightful and thought-provoking writings have graced various platforms like Quora, Wikipedia, shedding light on the intricacies of the human experience and our shared history. With a profound understanding of the social fabric, RJ Yaduvanshi continues to contribute to the world of literature and knowledge.

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