Open Book Exam: हाल ही मे CBSE Board ने घोषणा की है की क्लास 9 से 12 तक एक ट्राइल के रूप मे खुली किताब परीक्षा लेने जा रही है। इस Trial के नतीजों के आधार पर इसे आने वाली बोर्ड परीक्षाओं मे लागू करने पर विचार किया जाएगा। कैसे होता है Open Book Exam और क्या हैं इसके फायदे और नुकसान, सबकुछ जानेंगे इस पोस्ट मे।

Q. Kya Hota hai Open Book Exam? खुली किताब परीक्षा किसे कहते हैं?

OBE यानि खुली किताब परीक्षा मे परीक्षार्थियों की Understanding यानि विषय की समझ को परखा जाता है। Open Book Exam मे आप विषय से संबन्धित पुस्तकें, नोट्स, Guides आदि लेकर जाने की अनुमति होती है। परीक्षार्थी प्रश्नपत्र का उत्तर देखकर लिख सकते हैं, लेकिन उत्तर लिखते समय आपको अपनी समझ का इस्तेमाल करते हुये उत्तर लिखना होता है हूबहू कॉपी नहीं करना होता है।

Q. Open Book Exam मे कैसे प्रश्न आते हैं?

ओपन बूक एक्जाम मे विश्लेषणात्मक (Analytical) और समस्या-समाधान (Problem Solving) पर आधारित प्रश्न होते हैं, जिसके लिए छात्रों को कॉन्सेप्ट को समझने और उनका प्रैक्टिकल उपयोग करने की आवश्यकता होती है। यदि आपका कॉन्सेप्ट क्लियर हैं, तभी आप ओपन बुक फॉर्मेट का लाभ उठा सकेंगे, अन्यथा परीक्षा के दौरान बुक खोलकर भी आप सही उत्तर नहीं लिख पाएंगे और आपको कम मार्क्स मिलेंगे।

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Q. Open Book Exam ke Fayde?

ओपन बुक परीक्षा के पक्ष मे कई तर्क दिये जा सकते हैं जो इस प्रकार हैं:
1. ओपन बुक परीक्षा छात्रों को आँख मूँद कर याद करने रट्टा मारने के बजाय अवधारणाओं को समझने के अभ्यास को बढ़ावा देता है।
2. OBE छात्रों पर परीक्षा के मानसिक तनाव को कम करता है, कि उन्हें फाइनल के लिए अपने विषय से प्रत्येक चीज़ सीखनी होती है।
3. ओबीई पेपर को हल करने के लिए छात्रों को विषय और विषय से संबन्धित अवधारणा की अच्छी समझ की आवश्यकता होती है। 
4. यह बदले में उन्हें नियमित रूप से कक्षाओं में भाग लेने और अपने शिक्षकों और प्रोफेसरों पर ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करेगा, रटने की बजाय कान्सैप्ट क्लियर करने पर ज़ोर दिया जाएगा।
5. ओपन बुक परीक्षाओं के साथ, हम एप्लिकेशन-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देते हैं, इससे शिक्षा की समग्र गुणवत्ता में सुधार होता है।
6. अनावश्यक नकल रोकने के प्रयासों मे समय और संसाधन व्यर्थ होने से बचेगा और होशियार बच्चे जो विषय की अच्छी समझ रखेंगे उन्हे अच्छे मार्क्स मिलेंगे।

Q. ओपन बुक परीक्षा के नुकसान क्या हैं?

ऐसा नहीं है की Open Book Exam के फायदे ही फायदे हैं, इसके कुछ Demerits भी हैं, जैसे:
1. ओबीई छात्रों को केवल नकल करने और सीधे सीधे किताबों से उत्तर कॉपी करने के लिए प्रोत्साहित करता है। 
2. छात्र सीखने का प्रयास करना कम कर देते हैं और उनकी मेमोरी कम हो जाती है।
3. ओबीई के प्रश्न सामान्य से अधिक कठिन होते हैं जिस वजह से छात्रों के लिए सभी प्रश्नों के उत्तर ढूंढना काफी कठिन हो सकता है। 
4. अक्सर छात्र अपनी परीक्षाएँ समय पर समाप्त नहीं कर पाते क्योंकि वे उत्तर खोजने में बहुत अधिक समय व्यतीत कर देते हैं, हालांकि जो छात्र टॉपिक को ठीक से समझ गए होते हैं उन्हे आसानी होती है।
5. ओपन बुक एग्जाम से परीक्षा का महत्व पूरी तरह खत्म हो जाएगा लेकिन ये तर्क पूर्ण रूप से सही नही है।
6. वित्तीय स्थितियों के आधार पर, कुछ छात्रों की पहुँच दूसरों की तुलना में उच्च गुणवत्ता वाले नोट्स तक होगी और कुछ को ज्यादा मेहनत करनी होगी। 
7. ओबीई की परीक्षा कॉपी जाचने के लिए अधिक संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है क्यूंकी यहाँ पर उत्तर सही होना ही काफी नहीं है छात्र की समझ को परखना होता है।
कुल मिलाकर Close Book exam की तरह Open book exam के अपने फायदे और नुकसान हैं। Close book exam आपकी मेमोरी को परखने के लिए है और Open book exam आपकी विषय की समझ को परखने के लिए है।

Q. Open Book Exam आसान है या मुश्किल?

ओपन बुक परीक्षा आसान नहीं है इसमे आपको भले ही उत्तर देखकर लिखना होता है लेकिन परीक्षार्थी को याद रखने के बजाय संगठन, विश्लेषण और समस्या समाधान वाले प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं। इसके लिए विषय की अच्छी समझ अच्छे नोट्स की आवश्यकता होगी। इसका मूल्यांकन सिर्फ उत्तर के सही या गलत होने मात्र से नहीं होगा बल्कि परीक्षार्थी की विषय संबन्धित अवधारणा की समझ और उदाहरण के आधार पर किया जाएगा।
यदि आप सोच रहे हैं की बिना पढे कॉपी करके लिखना आसान है तो आपका समय उत्तर खोजने मे ही निकाल जाने वाला है। Open Book Exam मौजूदा परीक्षा पैटर्न से ज्यादा मुश्किल हो सकता है।

निष्कर्ष:

  1. Open Book Exam भारत के लिए एक नई प्रणाली है एक नई व्यवस्था है, हालांकि विदेशों मे ये पहले से चलन मे है। यदि इसे ठीक ढंग से लागू किया जा सके तो ये शिक्षा के क्षेत्र मे एक नई स्वस्थ परंपरा की शुरुवात होगी। इससे छात्रों पर अनावश्यक मानसिक दबाव कम होगा और रटने की बजाय बच्चे सीखने पर और कान्सैप्ट समझने पर ज्यादा ज़ोर देंगे।
  2. ओबीई को लेकर थोड़ा संशय ये है की भारत मे शिक्षा को सीखने पर ज़ोर देने की बजाय सिर्फ अंकों के आधार पर तौला जाता है, ऐसे मे कई शिक्षण संस्थान पैसे लेकर उच्च क्वालिटी के नोट्स बेच सकते हैं और आर्थिक रूप से असक्षम छात्र पीछे रह सकते हैं। इसलिए ओबीई को सही ढंग से लागू करवाना एक चैलेंज है।
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