पंचतंत्र की कहानियों मे से लालची कुत्ता एक छोटी परंतु शिक्षाप्रद कहानी है। इस हिन्दी कहानी को सभी बच्चो को जरूर सुनाएँ ताकि वो लालच से बचें।
एकबार एक लालची कुत्ता होता है- वह कुत्ता भोजन की तलाश मे इधर-उधर घूम रहा था।
तभी उसे हड्डी का एक टुकड़ा पड़ा मिला। उसने हड्डी का टुकड़ा उठा लिया और इधर–उधर देखने लगा। जब उसे कोई नहीं दिखा, तो वह टुकड़ा लेकर भाग निकला।
अब वह किसी एकांत और शांत स्थान की खोज करने लगा, जहाँ वह बैठकर आराम से हड्डी चबा सके। वह एक नदी किनारे पहुँचा और उसके ऊपर बने लकड़ी के पुल से नदी पार करने लगा। जब वह पुल पार कर रहा था तभी उसकी निगाह नदी के पानी पर पड़ी।
उसे पानी में अपनी ही छवि दिखाई दी। उसने अपनी ही छवि देखकर समझा कि वह कोई और कुत्ता है, जो हड्डी का टुकड़ा भी मुँह में दबाए है। उसके मन में लालच आ गया। उसने दूसरे कुत्ते की हड्डी छीनने का निश्चय किया। दूसरे कुत्ते को डराने के लिए वह जोर से भौंका। भौंकने के लिए उसने जैसे ही मुँह खोला, उसकी हड्डी पानी में गिर गई। उसने हड्डी दुबारा उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन हड्डी तो पानी में नीचे चली गई थी।
इस प्रकार वह कुत्ता भूखा ही रह गया उसके पास जो था वह भी गंवा दिया और फिर से खाने की तलाश मे इधर उधर भटकने लगा।
लालची कुत्ता – पंचतंत्र की कहानी से सीख:
इस कहानी से हमे यह सीख मिलती है की जो हमारे पास है उसमे संतोष करना चाहिए। दूसरों से छीनने का प्रयास और अधिक लालच हमेशा नुकसानदायक होता है।