“जैसे को तैसा” कहावत के पीछे की कहानी: बहुत Popular हिन्दी कहावत है “जैसे को तैसा – Jaise Ko Taisa” इसके पीछे एक हिन्दी कहानी भी है। अक्सर हमारे देश मे प्रचलित कहावतों के पीछे कोई न कोई कथा कहानी जरूर मौजूद रहती है। इस लेख मे हम इसी कहानी को पढ़ेंगे-
कहानी – जैसे को तैसा
पहले विवाह के संबंधों में लड़के-लड़कियों की पूरी छानबीन पंडितों और नाइयों पर छोड़ दी जाती थी। लड़के को पक्का करने के लिए ‘पीली चिट्ठी’ और ‘लगन’ ले जाने का काम नाई ही करता था। एक व्यक्ति की लड़की तुतलाती थी। उसने अपनी लड़की के रिश्ते के लिए एक नाई से कह रखा था। उसी नाई के प्रयास से रिश्ते के लिए बात चली। पहले लड़की वाले लड़के को देखने गए।
लड़का एक जरूरी काम से जा रहा था, इसलिए वह एक मिनट उनके बीच बैठा, नमस्ते की और चला गया। लड़का सुंदर था और कारोबार अच्छा था। लड़के से संबंधित शेष जानकारी उस पक्ष के नाई और परिवार वालों से मिल गई। जब लड़की को देखने वाले पहुंचे, तो लड़की पक्ष के नाई ने एक कमरे में बैठा दिया। बैठे लोगों को लड़की नाश्ते और चाय रखकर चली गई। शेष बातें लड़की के घर वालों तथा नाई से ज्ञात हुईं। लड़की भी सुंदर और घरेलू कामों में होशियार थी। लड़के वाले का नाई स्थिति को समझ गया, लेकिन बोला नहीं।
यह संबंध तय हो गया और वह समय भी आ गया जिस दिन बारात आनी थी।
बारातियों को खाना आदि खिलाने के बाद लड़का और लड़की विवाह-मंडप में आए। दोनों को देखकर लड़की और लड़के वाले खुश थे कि दोनों की जोड़ी बहुत सुंदर मिली है। भांवरे (फेरे) पड़ने के बाद दोनों बैठे ही थे कि लड़की की नजर सामने थोड़ी दूर पर आती हुई दुमुंही पर पड़ी और वह घबराकर बोल पड़ी- “तीला ! तीला!!”
इतना सुनते ही लड़के ने अपने आस-पास देखा और उसके मुंह से निकला- “तायं! तायं!!”
सब लोगों की नजर जब दुमुंही पर पड़ी, तो पहले सब लोग भौंचक्के रह गए। फिर दोनों की तरफ के लोग ठहाका मारकर हंस पड़े। दूल्हा और दुल्हन, दोनों मुंह लटकाए धरती को देखते रहे। कभी-कभी कनखियों से एक-दूसरे को देख लेते थे। लड़की वाले ने सोचा था कि मेरी लड़की तोतली है, लेकिन लड़का अच्छा मिला है। इसी प्रकार लड़के वाले ने सोचा था कि मेरा लड़का तोतला है, लेकिन लड़की ठीक मिली है।
लेकिन ‘तीला- तीला तायं- तायं’ ने साबित कर दिया कि ‘जैसे को तैसा‘ मिला।