Is Mahabharata Real? महाभारत Itihas है या Mythology? अक्सर कुछ लोग सनातन धर्म ग्रंथो, खासकर रामायण और महाभारत को काल्पनिक कहानी बता देते हैं। Is Ramayana Real? or Is Mahabharata myth or history? ये प्रश्न आपके भी मन मे भी हो सकते हैं, क्यूंकी आज के युग मे लोगों को यदि किसी बात का Logical उत्तर न मिले तो उसपर विश्वास नहीं कर पाते। आज के इस Article मे हम इसी प्रश्न (Is Mahabharata Real) का लॉजिकल उत्तर खोजने का प्रयास किया है।
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Is Mahabharata a Real Story? क्या महाभारत एक वास्तविक कहानी है?
महाभारत एक वास्तविक घटना थी इस बात को सिद्ध करने के लिए हमे ये सिद्ध करना पड़ेगा की “महाभारत महाकाव्य मे लिखित और वर्णित घटनाएँ और पात्रों से संबन्धित कोई साक्ष्य या निशान आज भी मौजूद हैं अथवा नहीं”। अगर उसमे वर्णित घटनाओं और पात्रों का कोई Footprint मौजूद नहीं है तो वह काल्पनिक माना जाना चाहिए और यदि है तो उसे वास्तविक माना जाना चाहिए। यही साइन्स भी कहता है और यही एक लॉजिकल माइंड भी कहता है।
यदि आप (is mahabhrata real) प्रश्न का उत्तर खोज रहे हैं तो आपको महाभारत के प्रमुख पात्र और घटनाएँ पहले से पता होनी चाहिए तभी आप किसी निष्कर्ष तक पहुँच पाएंगे।
प्राचीन भारत के दो महान ग्रन्थों मे एक है महाभारत और दूसरा है रामायण, Googal Baba का यह आर्टिक्ल पढ़ने के बाद आपको महाभारत से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य पता चलेंगे जिन्हे जानकार आपको विश्वास हो जाएगा की महाभारत एक वास्तविक घटना है न की एक काल्पनिक कहानी।
महाभारत की घटना आज से करीब 3100 ईशा पूर्व की है और महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास हैं। महाभारत का संबंध सनातन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ श्रीमद भगवत गीता से भी है। श्रीमद भगवत गीता का ज्ञान सर्वप्रथम श्रीकृष्ण ने अर्जुन को महाभारत के युद्ध क्षेत्र, कुरुक्षेत्र मे दिया था। यह कौरवों जो कि सौ भाई थे और पांडव जो 5 भाई थे, उनके बीच हुये युद्ध की गाथा है। घटनाओ की Chronology से मिलान करते हुये बिन्दुवार हम जानने का प्रयास करेंगे की -क्या महाभारत एक वास्तविक कहानी है (is mahabhrata real?)
Mahabharat कब हुआ था?
सबसे पहले हमे यह जानना चाहिए की महाभारत की घटना वास्तव मे आज से कितने वर्ष पूर्व ही है? इस बात पर विद्वानो के अलग अलग मत हैं- जैसे
इतिहासकार डी.एस त्रिवेदी: इन्होने विभिन्न ऐतिहासिक एवं ज्योतिष संबंधी आधारों पर बल देते हुए युद्ध का समय 3137 ईसा पूर्व निश्चित किया है।
इतिहासकर पीसी सेनगुप्ता: के अनुसार महाभारत में आए कुछ ज्योतिषीय संबंधी प्रमाण युद्ध का समय 2449 ईसा पूर्व निश्चित करते हैं।
आर्यभट्ट : आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईसा पूर्व में हुआ और कलयुग का आरम्भ श्रीकृष्ण के निधन के 35 वर्ष पश्चात हुआ। नासा के नवीनतम Software द्वारा श्री राम की कुंडली का विश्लेषण और अध्ययन अनुसार राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था। शल्य जो महाभारत में कौरवों की तरफ से लड़े था उसे रामायण में वर्णित लव और कुश के बाद की 50वीं पीढ़ी का माना जाता है।
ज्योतिष गणना के अनुसार: ये तो सभी मानते हैं की खगोलीय घटनाएँ और ग्रह नक्षत्रों की स्थिति के अनुसार कुछ दुर्लभ संयोग बनते हैं और इन्ही दुर्लभ संयोग से हम आज Science द्वारा किसी भी प्राचीन संयोग की तिथि का पता लगा सकते हैं। ग्रंथो से प्राप्त वर्णन से ये स्थापित सत्य है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग के समय हुआ था। जिसे विज्ञान लगभग 3112 ईसा पूर्व (अर्थात आज से 5129 वर्ष पूर्व) का बताता है। ज्योतिषियों के अनुसार रात 12 बजे उस वक्त शून्य काल था। इस मान से यह मान जाएगा कि महाभारत युद्ध भी 31वीं सदी ईसा पूर्व ही हुआ था।
ताजा शोधानुसार ब्रिटेन में कार्यरत न्यूक्लियर मेडिसिन के फिजिशियन डॉ. मनीष पंडित ने महाभारत में वर्णित 150 खगोलीय घटनाओं के संदर्भ में कहा कि महाभारत का युद्ध 22 नवंबर 3067 ईसा पूर्व को हुआ था। कुल मिलाकर यह निष्कर्ष निकलता है कि महाभारत 31वी शताब्दी ईशा पूर्व कि घटना है।
लेकिन क्या इस बात से हमारे प्रश्न (is Mahabharata Real) का उत्तर मिलता है? नहीं! चलिये आगे बढ़ते हैं।
कुरुक्षेत्र की लाल मिट्टी (Is Mahabharata Real- Proof No.1)
महाभारत सच है या झूठ इस उलझन को सुलझाने के लिए सबसे पहले हमे यह देखना होगा कि जहां महाभारत हुआ था आज वो स्थान किधर है। महाभारत जिस कुरुक्षेत्र मे हुआ था आज वह हरयाणा मे पड़ता है, जहां पर Kurukshetra Archaeological Site भी है। कुरुक्षेत्र ही वो स्थान है जहां पर महाभारत वो युद्ध हुआ था जिसे हम ग्रन्थों मे पढ़ते हैं और महाभारत के उस विध्वंसक युद्ध मे अनगिनत सैनिकों कि मृत्यु हुई थी जिससे युद्ध क्षेत्र कि धरती रक्त से लाल हो गई थी ऐसा वर्णन मिलता है।
और आज भी हरयाणा के कुरुक्षेत्र कि मिट्टी का रंग लाल है। पुरातात्विक सर्वेक्षण मे कुरुक्षेत्र कि मिट्टी के नीचे से प्राप्त कुछ प्राचीन लोहे के तीर और हथियार मिले, जिनके परीक्षण के बाद उन्हे २८०० ईशा पूर्व का बताया गया है जो महाभारत काल के आसपास का समय है। तो ये प्रथम सबूत है कि महाभारत एक वास्तविक घटना थी। लेकिन ये महज एक संयोग भी तो हो सकता है। तो चलिये आगे देखते हैं-
चक्रव्युह (Is Mahabharata Real- Proof No.2)
महाभारत मे चक्रव्युह का ज्ञान सिर्फ द्रोणाचार्य और अर्जुन को था, अर्जुन ने अपनी पत्नी सुभद्रा को गर्भावस्था मे चक्रव्युह रचना के बारे मे सुनाया था जिससे अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु ने गर्भ मे ही चक्रव्युह मे प्रवेश करना सीख लिया था लेकिन बाहर निकलने कि कला से अनभिज्ञ रहे गए क्यूंकी सुभद्रा बीच मे नींद आ गई थी।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाभारत मे वर्णित चक्रव्युह का एक जिंदा सबूत आज भी मौजूद है? जी हाँ!!
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले मे स्थित सोलह सिंघी धार के नीचे बसा राजनौर गाँव नाम का एक ऐतिहासिक स्थल है। जसवां धार श्रंखला ऊना में एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण भी है। यहाँ पर पांडव अज्ञातवास के दौरान रुके थे और यहीं पर उन्होने पत्थर पर चक्रव्युह को उकेरा था जो आज भी मौजूद है। इस पत्थर पर उकेरी आकृति को ध्यान से देखने पर इसमे अंदर जाने का रास्ता तो दिखाई देता है लेकिन बाहर आने का रास्ता नजर नहीं आता। इस जगह को पिपलू किले के नाम से जाना जाता है।
सौ कौरवों का जन्म (Is Mahabharata Real- Proof No.3)
महाभारत मे ऐसा लिखा हुआ है कि गांधारी को सौ पुत्रों का वरदान प्राप्त था, लेकिन 9 माह के पश्चात भी उनके गर्भ से किसी भी संतान का जन्म हुआ नहीं। करीब सोलह माह पश्चात गांधारी के गर्भ से एक मांस के लोथड़े का जन्म हुआ, और इसी मांस के सौ टुकड़े करके महर्षि व्यास ने 100 अलग अलग घड़ो मे सील बंद करके रखा जिसमे से नौ माह बाद एक के बाद एक सौ पुत्रों का जन्म हुआ।
अब आप कहेंगे कि ये तो कोरी गप हुई न- लेकिन रुको, यदि आज से 20 साल पहले कोई आपसे ऐसा कहता तो आप और हम इसे कोरी गप ही बताते, लेकिन आज साइन्स ने सिद्ध कर दिया है कि एक स्त्री के गर्भ से बच्चा दूसरी स्त्री के गर्भ मे भी ट्रान्सफर हो सकता है और तो और पति पत्नी का स्पर्म लेकर Technology कि मदद से एक कृतिम ट्यूब मे रखकर भी बच्चे का जन्म कराया जा सकता है।
इसको तो आप क्या कोई भी नहीं झुठला सकता क्यूंकी प्रत्यक्ष को प्रमाण कि आवश्यकता नहीं होती। ये है आपका तीसरा सबूत जो कहता है कि महाभारत एक वास्तविक घटना थी।
श्री कृष्ण की द्वारका नगरी (Is Mahabharata Real- Proof No.4)
श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा मे हुआ था जो आज उत्तर प्रदेश मे है, वहाँ पर वृन्दावन धाम से लेकर कृष्ण और राधिका को समर्पित कई सारे मंदिर हैं और ये एक तीर्थ स्थल है। वैसे तो मुगलों के आक्रमण को सबसे अधिक उत्तर भारतीय लोगों ने झेला है और लगभग सारे प्राचीन मंदिर तोड़ दिये गए लेकिन फिर भी यहाँ आपको श्री कृष्ण के सैकड़ों devine निशान मिल जाएंगे, इसके अलावा महाभारत काल मे श्री कृष्ण ने द्वारका नाम का नगर बसाया था समुन्द्र के किनारे, जो की गुजरात के वेरावल से 5 किलोमीटर दूर है।
ग्रन्थों मे लिखा है कैसे द्वारका नगर का निर्माण हुआ और श्रीकृष्ण की देह त्याग और बैकुंठ प्रस्थान के कुछ समय बाद द्वारका नगर समुन्द्र मे डूब गया था।
ऐसा वर्णन मिलता है की ये नगर बसाने के लिए श्रीकृष्ण ने समुद्र से स्थान मांगा था और समुद्र पीछे हट गया था, और अंतोगत्वा वापस वो नगर समुद्र मे समा गया। कृष्ण की द्वारका नगरी जो समुद्र ने वापस ले ली उसके अवशेष आज भी समुद्र के नीचे है। Archaeological सर्वे के अनुसार जो material पानी के नीचे पाया गया वो उतना ही पुराना है जितना की महाभारत है। Is Mahabharata Real एपिसोड का ये चौथा सबसे जिंदा सबूत है।
हस्तिनापुर (Is Mahabharata Real- Proof No.5)
हस्तिनापुर जो महाभारत का केंद्र बिन्दु था आज उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले का एक शहर है। हस्तिनापुर महाभारत और पुराणों में कुरु साम्राज्य की राजधानी के रूप में वर्णित किया गया है। वास्तव में, हस्तिनापुर में एक साइट की खुदाई करने वाले पुरातत्वविदों को ऐसी कलाकृतियाँ मिली थीं जो महाभारत में दिए गए विवरणों के साथ काफी समानता रखती हैं।
महाभारत युग से जुड़े पश्चिमी यूपी में कई स्थान हैं। इस शहर के पास एक जलाशय या द्रौपदी कुंड भी है। इसके अतिरिक्त, एक बरगद का पेड़ मौजूद है, जो पौराणिक कथाओं के अनुसार भीम द्वारा स्वयं लगाया गया था। पांडवों के स्नान स्थल के रूप में हस्तिनापुर में एक कुआं भी पूजनीय है।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस स्थल से 9 कंकालों और तलवारों के साथ एक घोड़े द्वारा संचालित रथ की खोज की गई थी। एएसआई ने दावा किया है कि ये अवशेष महाभारत काल के हैं। जैन समुदाय भी इस शहर का सम्मान करता है क्योंकि हस्तिनापुर में कई तीर्थंकरों का जन्म हुआ था।
गांधार- मामा शकुनी का राज्य (Is Mahabharata Real- Proof No.6)
गांधार ही महाभारत का वो राज्य था जहा दुर्योधन के मामा शकुनि का शासन था। गांधारी धृतराष्ट्र की पत्नी थी और दुर्योधन की माँ तथा शकुनि की बहन थी। गांधार जिसे आज हम अफगानिस्तान के कंधार के नाम से जानते हैं।
प्राचीन मानचित्र को देखें तो साफ प्रतीत होता है की अफगानिस्तान का कंधार ही प्राचीन काल का गांधार या गांधारी राज्य था।
ये राज्य आज भी वहीं मौजूद है जैसा प्राचीन काल मे था, इससे बड़ा प्रमाण और क्या चाहिए? क्या ऐसा संभव है की एक कोरी काल्पनिक कहानी को साबित करने के लिए लोगों ने स्थानों के नामकरण भी कर दिये। वह भी इतनी चतुराई से की हूबहू उसी स्थान पर जैसा पौराणिक ग्रंथो मे मिलता है। ऐसा तभी संभव है जब वो राज्य और स्थान वास्तव मे मौजूद थे।
केदारनाथ और पशुपति नाथ मंदिर (is Mahabharata Real?- Proof No.7)
ऐसा वर्णन मिलता है की कुरुक्षेत्र मे हुये रक्तपात से भगवान शिव पांडवों से नाराज थे। और भगवान कृष्ण ने पांडवों को सलाह दी की आप सभी भगवान शिव के दर्शन के लिए उनके पास जाओ। पांडव निकल पड़े भगवान शिव से क्षमा मागने और गुप्तकाशी नाम के स्थान पर पांडवों के आने के बाद महादेव वहाँ से लुप्त होकर अन्य स्थान पर चले गए। पांडव उनके पीछे पीछे पहुच गए केदारनाथ लेकिन वहाँ पर भगवान शिव उनको दर्शन देना नहीं चाहते थे इसलिए एक भैंसे का रूप धारण करके वही छिप गए।
लेकिन पांडवों ने उन्हे पहचान लिया और भगवान शिव भैंसे के रूप मे ही धरती मे सामने लगे परंतु भीम ने अपनी शक्ति से महादेव को रोक लिया लेकिन उस शीश पशुपति नाथ मे निकल चुका था इसलिए उनका धड़ जहां पर रहा वो केदारनाथ धाम बन गया और शीश जहां प्रकट हुआ वो पशुपति नाथ धाम बना(जो काठमांडू नेपाल मे है)।
केदारनाथ मे जो मंदिर है उसका निर्माण पांडवों द्वारा ही कराया गया था जहां भगवान शिव भैंस कि आकृति मे पीठ का भाग मौजूद है और शीश जिस स्थान पर निकला वहाँ पर पशुपतिनाथ मंदिर बना है। बाद मे पांडवों द्वारा बनाए मंदिर के बगल मे ही आज का केदारनाथ मंदिर है जिसका निर्माण 8वीं शताब्दी मे आदि शंकराचार्य द्वारा कराया गया था।
अब यदि महाभारत की कथा के अनुसार ये दोनों स्थान आज भी मौजूद हैं तो महाभारत भी अवश्य ही हुआ था. और इसलिए हम कह सकते हैं Mahabharata is History not Mythology.
लाक्षागृह (is Mahabharata Real?- Proof No.8)
लाक्षागृह मे पांडवों को जलाकर मारने की साजिश रची गई थी कौरवों द्वारा, लेकिन पांडव सुरंग के माध्यम से बचकर निकलने मे कामयाब हो गए थे। आज भी उत्तर प्रदेश के वरनावा नाम की जगह पर वो सुरंग मौजूद है जो की बागपत जिले मे पड़ता है। पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम द्वारा हिंडन नदी के किनारे बरनावा में उत्खनन कराया गया वहाँ करीब ढाई हजार साल पुरानी ईंटे प्राप्त हुई।
Brahmaashtra-ब्रह्मास्त्र (is Mahabharata Real?- Proof No.9)
रामायण काल मे ब्रह्मास्त्र लक्ष्मण जी के पास था और महाभारत काल मे ब्रह्मास्त्र श्रीकृष्ण, गुरु द्रोण, अर्जुन, अश्वस्थामा, युधिष्ठिर और कर्ण के पास था। ये सबसे अचूक हथियार था और इसकी काट किसी भी अन्य हथियार से संभव नहीं थी। इसको जो छोडता था वही इसको वापस भी बुला सकता था दूसरा कोई विकल्प नहीं था।
ब्रह्मास्त्र को केवल ब्रह्मास्त्र ही रोक सकता था परंतु दो ब्रह्मास्त्र आपस मे टकराएँ तो पूरी धरती पर प्रलय आ सकती थी। लेकिन आप कहेंगे इससे क्या सिद्ध होता है?
दरअसल आज के परमाणु बम आविष्कार का श्रेय जाता है अमेरिकी वैज्ञानिक J. Robert Oppenheimer (1904-1967) को. 1939 से 1945 के बीच जे रोबर्ट ओप्पेंहयमर और उनकी टीम को परमाणु बम बनाने की ज़िम्मेदारी दी गई, तब उन्होने भारतीय ग्रन्थों मे वर्णित ब्रह्मास्त्र की मारक क्षमता पर शोध करना शुरू किया। 1945 को इसका पहला परीक्षण किया गया और उस परीक्षण के दौरान जो नजारा वैज्ञानिकों ने देखा वो भारतीय प्राचीन ग्रंथो मे वर्णित ब्रह्मास्त्र से निकालने वाली ऊर्जा के वर्णन से मेल खाता था।
और वैज्ञानिकों ने भी माना की इस तरह का ही कोई अस्त्र महाभारत काल मे भी प्रयोग किया गया होगा। और ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्यूंकी जैसे ही J. Robert Oppenheimer ने पहला परमाणु विस्फोट देखा उनको श्रीमद भगवत गीता की एक प्रसिद्ध लाइन बोली थी –
As he witnessed the first detonation of a nuclear weapon on July 16, 1945, a piece of Hindu scripture ran through the mind of Robert Oppenheimer: “Now I am become Death, the destroyer of worlds”. It is, perhaps, the most well-known line from the Bhagavad-Gita, but also the most misunderstood.
अंगप्रदेश- कर्ण का राज्य (is Mahabharata Real?- Proof No.10)
वर्तमान में उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के क्षेत्र का उल्लेख महाभारत में अंगदेश के रूप में है। दुर्योधन ने कर्ण को इस देश का राजा घोषित किया था। इस स्थान को शक्तिपीठ के रूप में भी जाना जाता है।
बाद मे जरासंध ने भी अपने राज्य का कुछ हिस्सा अंगराज कर्ण को दे दिया था, जो आज बिहार के मधुबनी, मुंगेर की तरफ का भाग है। आज भी इन् क्षेत्रों मे कर्ण को काफी सम्मान दिया जाता है। कई लोगों के उपनाम भी कर्ण होते हैं।
ये नगर आज भी हूबहू उसी स्थान पर हैं जहां पहले थे कोई परिवर्तन नहीं है। इससे साबित होता है की महाभारत सच मे हुआ था। इसके अलावा महाभारत काल के 36 राज्य आज भी Existence मे हैं । आप चाहें तो महाभारत काल का मानचित्र लेकर आज के मानचित्र से मिला सकते हैं ये सारे स्थान आपको उसी जगह पर मिलेंगे जैसा की प्राचीन विवरणों मे मिलता है।
निष्कर्ष
Is Mahabharata a Real Story? Is Mahabharata myth or history?
यह आर्टिक्ल इस प्रश्न को उत्तरित करने का प्रयास था और टीम गूगल बाबा द्वारा इसमे कई सारे पहलुओं और घटनाओ को एक साथ जोड़कर, कड़ी से कड़ी मिलाकर आपको उपलब्ध साक्ष्यों के साथ बताने का प्रयास किया गया है – और हम कह सकते हैं कि Yes Mahabharata is Real. भारत लंबे समय तक गुलाम रहा कितने आक्रमण झेले हैं इस धरती ने, उसके बावजूद यदि 4000-6000 वर्ष पुराने स्थान – मथुरा, वृन्दावन, द्वारका, कुरुक्षेत्र, हस्तिनापुर, लाक्षागृह, गांधार, केदारनाथ, पशुपतिनाथ, अंग प्रदेश इत्यादि आज भी मौजूद हैं जो महाभारत काल मे वर्णित हैं और न केवल स्थान बल्कि घटनाओं के footprint भी मौजूद हैं तो भारतीय लोगों को किसी और से सर्टिफिकेट लेने की कोई आवश्यकता नहीं है।
भारत ही है इस धरती की सबसे प्राचीन सभ्यता और धर्म ग्रंथ महाकाव्य – रामायण और महाभारत कोई कल्पना मात्र नहीं अपितु वो भारत का इतिहास है। हाँ ये हो सकता है की कुछ घटनाओं को बढ़ाचढ़ा कर पेश किया गया हो लेकिन ये कहना की ये काल्पनिक कहानी है वो समझ से परे है। ऐसी घटनाएँ दुनिया मे कहीं कल्पना के रूप मे भी नहीं विद्यमान है। अंत तक पढ़ने के लिए हृदय से आभार, अपनी राय कमेंट बॉक्स मे जरूर बताएं
References to this article (Is Mahabharata Real)
- BBC, AAJTAK Reported on Archaeological Survey under the Sea to figure out the ancient dwarka city.
- B.B. Lal, Excavation at Hastinapur and other Exploration in the upper Ganges and Sutlej basin 1950-52
- Now I am become Death, the destroyer of worlds’. The story of Oppenheimer’s infamous quote – https://www.wired.co.uk/article/manhattan-project-robert-oppenheimer
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