अक्सर हिन्दू धर्म ग्रंथो का सामना विज्ञान से होता रहता है। हिन्दू धर्म ग्रन्थों मे एक दंतकथा मिलती है जिसमे ये बताया गया है की हिरण्याक्ष जो हिरण्यकश्यप का भाई था उसने पूरी पृथ्वी को एक समुद्र मे ले जाकर छुपा दिया था जिसे बाद मे भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर बाहर निकाला था। तो प्रश्न ये उठता है की हिरण्याक्ष ने किस महासागर में पृथ्वी को छुपाया था? ऐसा कैसे संभव है की पृथ्वी जैसे इतने विशाल ग्रह को समुद्र मे छुपा दिया जाए। उसके लिए तो पृथ्वी से कई गुणा बड़ा महासागर होना चाहिए।

अब कुछ लोग इससे काल्पनिक और बेबुनियाद कहानी मान लेंगे, या यू कहें की अब तक तो यही मानते आरहे थे। लेकिन आज आपको यह फ़ैक्ट चेक लेख पढ़ने के बाद पता चल जाएगा की हिरण्याक्ष ने किस महासागर में पृथ्वी को छुपाया था?

क्या है हिरण्याक्ष और वराह अवतार की कहानी

प्राचीन समय में एक दैत्य हुआ जिसका नाम हिरण्याक्ष था। एकबार हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया था। तब ब्रह्मा जी की नाक से भगवान विष्णु वराह रूप में प्रकट हुए।

भगवान विष्णु के वराह रूप को देखकर सभी देवताओं व ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की। सभी देवताओं, ऋषि मुनियों के आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी को ढूंढना प्रारंभ किया। अपनी थूथनी की सहायता से उन्होंने पृथ्वी का पता लगा लिया और समुद्र के अंदर जाकर अपने दांतों पर रखकर वे पृथ्वी को बाहर ले आए।

जब हिरण्याक्ष दैत्य ने यह देखा तो उसने भगवान विष्णु के वराह रूप को युद्ध के लिए ललकारा। दोनों में भीषण युद्ध हुआ। अंत में भगवान वराह ने हिरण्याक्ष का वध कर दिया। इसके बाद भगवान वराह ने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया। इसके पश्चात भगवान वराह अंतर्धान हो गए।

Varah Avtar aur Hiranyaksh

अब प्रश्न ये उठता है की हिरण्याक्ष ने किस महासागर में पृथ्वी को छुपाया था? समुद्र तो पृथ्वी पर ही होता है तो यह कैसे संभव है? इसके लिए तो पृथ्वी के आकार से कई गुना विशाल महासागर होना चाहिए जिसमे पृथ्वी जैसा ग्रह समा सके। और यदि ऐसा है तो हिरण्याक्ष ने किस महासागर में पृथ्वी को छुपाया था और वह महासागर ब्रह्मांड मे कहाँ है?

हिरण्याक्ष ने किस महासागर में पृथ्वी को छुपाया था?

हिरण्याक्ष नाम के राक्षस ने पृथ्वी को गर्भोदक महासागर मे छिपा दिया था। भगवान विष्णु के वराह (सूकर) अवतार और हिरण्याक्ष के बीच लड़ाई पृथ्वी पर नहीं बल्कि एक ब्रह्मांडीय महासागर में हुई थी जिसे गर्भोदक महासागर के नाम से जाना जाता है। भागवत पुराण के अनुसार, हिरण्याक्ष ब्रह्मांड का पहला राक्षस था और उसने पृथ्वी को गर्भोदक सागर में डुबो दिया था। गर्भोदक महासागर को भव सागर के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि हिन्दू शास्त्र में भवसागर का वर्णन किया गया है।

वराह पुराण मे उल्लेख मिलता है की हिरणाकश्यप के भाई हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को ले जाकर समुद्र में छिपा दिया था। फलस्वरूप भगवान विष्णु ने सूकर (वराह) का रूप धारण करके हिरण्याक्ष का वध किया और पृथ्वी को पुनः उसके अपने स्थान पर स्थापित कर दिया। इस बात को आज के युग में एक दंतकथा के रूप में लिया जाता है। लोगों का ऐसा मानना है कि ये सरासर गलत और मनगढंत कहानी है।

क्या नासा ने वाकई खोजा है ऐसा प्लानेट जिसपे है पानी का भंडार?

हिरण्याक्ष ने किस महासागर में पृथ्वी को छुपाया था? क्या ब्रह्मांड मे ऐसा कोई महासागर है जिसमे पृथ्वी जैसे ग्रह को छिपाया जा सके?

इस fact-check के दौरान हमने नासा की आधिकारिक वैबसाइट पर खोजबीन की जिससे हमे कुछ तथ्य मिले जो इस तरफ इशारा करते हैं की ब्रह्मांड मे ऐसा विशाल जलाशय वाला पिंड मौजूद है जो पृथ्वी के आकार से कई गुणा बड़ा और विशाल है। हमने ऊपर नासा की इस खोज के बारे मे लिखे गए आर्टिकल का लिंक भी दिया है जिससे हमे ये बातें पता चलती हैं –

  • नासा के आधुनिक हब्बल टेलेस्कोप और एक दूसरे रिटायर्ड टेलेस्कोप जिसका नाम Spitzer है उसके द्वारा दो विशाल ग्रह देखे गए हैं जिनके नाम “Kepler 138 c” और Kepler 138 d” हैं।
  • नासा का अनुमान है की ये दोनों प्लानेट मूलतः पानी से बने हो सकते हैं।
  • ये दोनों ग्रह हमारी पृथ्वी से 2 बिलियन से अधिक प्रकाश-वर्ष दूर है
  • और इसमे हमारी पृथ्वी के समुद्र से 140 खराब गुणा अधिक पानी हो सकता है।
  • केपलर-138 सी और डी पर सीधे तौर पर पानी का पता नहीं लगाया गया था, लेकिन मॉडलों के साथ ग्रहों के आकार और द्रव्यमान की तुलना करके निष्कर्ष निकाला की वह पानी ही हो सकता है।
  • खगोलविदों ने निष्कर्ष का मूल यह है की ये प्लानेट ऐसी चीजों से बने होने चाहिए जो चट्टान से हल्का लेकिन हाइड्रोजन या हीलियम से भारी हो (जो बृहस्पति जैसे गैस विशाल ग्रहों का बड़ा हिस्सा हैं)। इन सभी तत्वों में सबसे आम पानी है।

Fact Check का निष्कर्ष – हिरण्याक्ष ने किस महासागर में पृथ्वी को छुपाया था?

ऊपर दिये गए तथ्यों और नासा के observation और analysis के बाद खगोलविदों के अनुसार जैसे वृहस्पति (Jupitar) सिर्फ गैसों से बना ग्रह है वैसे ही kelper c और kepler d जल से बने ग्रह हो सकते हैं. भारतीय ग्रंथ भगवत पुराण मे मिलती भगवान विष्णु के अवतार वराह की कहानी कहती है की- जब हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को समुद्र मे डूबा दिया था या छिपा दिया था तब भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर उस राक्षस का वध किया था और पृथ्वी को पुनः उसकी कक्षा मे स्थापित किया था। और हिरण्याक्ष का और वराह का युद्ध पृथ्वी पर नहीं बल्कि एक ब्रह्मांडीय महासागर में हुई थी जिसे गर्भोदक महासागर के नाम से जाना जाता है।

हो न हो ये प्लानेट वही महासागर हो सकते हैं क्यूंकी हिन्दू धर्म शास्त्रो मे लिखी कई बातों पर अमेरिका के कई वैज्ञानिक पहले भी मुहर लगा चुके हैं। और हम विष्णु के वराह अवतार की जो भी तस्वीरें और मंदिरो मे प्रतिमाएँ देखते हैं उसमे वराह के दांतों पर टिकी पृथ्वी गोल आकार मे दिखाई गई है और ये तस्वीरें हजारों वर्ष पहले से स्थापित हैं जब विज्ञान को यह भी नहीं पता था पृथ्वी गोल है अथवा चपटी।

8th century Durga Surya temple Varaha avatar of Vishnu with Bhudevi, Aihole Hindu temples monuments

Googal Baba के इस Fact Check मे किया गया दावा “सच के काफी करीब पाया गया है” इसलिए हम मानते हैं की वराह अवतार और हिरण्याक्ष की कहानी मे कुछ न कुछ सच्चाई जरूर है, हालांकि हम यह भी मानते हैं की सनातन धर्म ग्रन्थों के कई ग्रंथों को काफी समय तक श्रुति परंपरा के माध्यम से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी मे ट्रान्सफर किया गया है इसलिए इसमे थोड़ी अतिशयोक्ति की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

Googal Baba Fact Check Team

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