हमने अक्सर अपने बड़े बुजुर्गों से सुना है “Jo Hota hai Achche ke liye Hota hai”. ऐसा क्यूँ कहा जाता है इसके पीछे कई सारी कहानियाँ प्रचलित हैं हमारे समाज मे।
इसी प्रकार की एक Akbar Birbal Ki Kahani भी है जिसमे बीरबल ने बड़े अच्छे से साबित किया है की कैसे “जो होता है वो अच्छे के लिए ही होता है”? तो चलिये पढ़ते हैं इस कहानी को-
एकबार बादशाह अकबर अपने सैनिकों के साथ शिकार पर गए थे। उनके साथ बीरबल भी थे। शिकार खेलते समय गलती से उनकी अपनी ही तलवार के उनके बाएँ हाथ की एक उंगली कट गई। अकबर को काफी दर्द हुआ और उन्हे अपनी एक उंगली खोने का गम भी था। बीरबल ने बादशाह अकबर को सांत्वना देते हुये कहाँ – जहाँपनाह “Jo Hota hai Achche ke liye Hota hai” ऐसा मानकर इसको भूल जाइए।
बादशाह अकबर को बहुत अधिक क्रोध आया। उनको लगा बीरबल उनका उपहास करने की चेष्टा कर रहा है। बादशाह ने बीरबल को कहा की सिद्ध करो मेरी उंगली कटने से क्या अच्छा होगा नहीं तो राज्य छोडकर चले जाओ।
बीरबल ने कहा- “जहाँपनाह ये तो भविष्य मे तय होगा की “Jo Hota hai Achche ke liye hota hai“. ऐसा कहकर बीरबल, अकबर को छोडकर चले गए। कुछ समय गुजरने के पश्चात-
अकबर पुनः आखेट के लिए निकले, चूंकि बीरबल को बादशाह ने क्रोध मे आकार निकाल दिया था तो इस समय उनके साथ कुछ सैनिक ही थे। शिकार खेलते हुये बादशाह रास्ता भटक गए और सैनिक भी इधर उधर हो गए। अकेले जंगल मे घूमते अकबर को कुछ आदिवासी कबीलों के समूह ने देख लिया और बादशाह को पकड़ लिया।
अकबर को पकड़कर वो आदिवासी अपने कबीले के सरदार के पास ले गए। चूंकि आदिवासी लोगों की भाषा शैली न अकबर को आती थी न ही वो अकबर की भाषा समझते थे। कबीलों के सरदार ने बादशाह अकबर को आदिवासी समुदाय के पूज्य देवता की मूर्ति के सामने प्रस्तुत किया।
“अकबर को कुछ नहीं सूझ रहा था की उनके साथ होने क्या वाला है।”
आदिवासियों ने सरदार के आदेश पर बादशाह अकबर को नहलाया धुलाया और कुछ खाने को दिया। इसके पश्चात वो उन्हे अपने देवता के सामने बलि देने के लिए ले गए। अब अकबर बादशाह को सारा खेल समझ मे आ चुका था की उनकी बलि चढ़ने वाली है।
सरदार ने बलि देने से पूर्व अकबर के पूरे शरीर पर एक दृष्टि डाली, पता चला की इस व्यक्ति की तो एक उंगली कटी हुई है। खंडित व्यक्ति की बलि देने की प्रथा उन आदिवासी कबीले वालों मे नहीं थी। ऐसा देखने के बाद उन्होने बादशाह अकबर को मुक्त कर दिया।
“अब अकबर बादशाह को बीरबल की कही बात “Jo Hota hai Achche Ke Liye Hota Hai” याद आ रही थी”
अकबर वहाँ से जैसे तैसे निकलकर राजमहल पहुचे, लेकिन उन्हे बीरबल की याद सताने लगी थी क्यूंकी उन्हे अपनी गलती पर पछतावा हो रहा था। अकबर ने बिना सोचे समझे बीरबल को राज दरबार से जो निकाल दिया था।
जो होता है अच्छे के लिए होता है” इस कहानी से क्या सीख मिलती है?
इस Hindi Kahani से हमे यह शिक्षा मिलती है कि “हमे हर परिस्थिति मे संयम से काम लेना चाहिए, और जो कुछ भी होता है उसमे कुछ न कुछ अच्छाई जरूर छिपी होती है हमे इस बात को सोचकर आगे बढ़ना चाहिए न कि उस बात का अफसोस मनाकर अपने लिए और मुसीबत खड़ी करना चाहिए।” हमे हर हाल मे सकारात्मक भाव रखना चाहिए। क्यूंकी “जो होता है अच्छे के लिए होता है”
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