देखें ऊंट किस करवट बैठता है– ये हिन्दी कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी? लेकिन क्या आप जानते हैं की “देखें ऊंट किस करवट बैठता है” इसके पीछे क्या कहानी है? हमारे पूर्वजों ने जो हिन्दी कहावतें बनाई हैं हमे बातों को आसानी से समझने के लिए उसके पीछे कोई न कोई कहानी जरूर होती है।

कहानी – देखें ऊंट किस करवट बैठता है?

एक गांव में सात दिन बाद बाजार लगती थी। सब्जी, दाल, अनाज, कपड़े आदि घर-गृहस्थी का सभी सामान बिकने आता था। आस-पास के गांवों के लोग भी सामान लेने आते थे। बाजार में दुकानदार अपना सामान बैलगाड़ियों, खच्चरों, ऊंटों आदि से लाते थे। आस-पास के दुकानदार छोटा-मोटा सामान अपने सिर पर ही रखकर लाते थे। एक ही गांव से एक कुंजड़ा और कुम्हार भी अपना सामान बाजार में ले जाते थे।

कुंजड़ा फल-सब्जियां आदि ले जाता था और कुम्हार अपने मिट्टी के बरतन। इनको सामान का भाड़ा इतना देना पड़ता था कि मुनाफा बहुत कम रह जाता था। उसी गांव में एक ऊंटवाला भी था जो बाजार में दुकानदारों का सामान लाता-ले जाता था।

कहानी – देखें ऊंट किस करवट बैठता है?

कुंजड़ा (गाँव सब्जी तरकारी आदि बेचने वाली एक जाति को कुँजड़ा कहते हैं) और कुम्हार (कुम्हार- मिट्टी के बर्तन बनाने वाले को कहते हैं) ने तय किया कि हम अपना सामान ऊंट से ले चलते हैं। जो किराया आएगा, उसको आधा-आधा करके दे देंगे। बचत देखकर दोनों तैयार हो गए। उन्होंने अपने गांव का ही ऊंट तय कर लिया और हाट के दिन एक ओर कुम्हार ने अपने बरतन लादे और दूसरी ओर कुंजड़े ने अपनी सब्जियां लादीं। दोनों हाट को चल दिए।

ऊंटवाला रस्सी पकड़े आगे-आगे जा रहा था और ये दोनों साथ-साथ चल रहे थे। ऊंट ने एक बार अपनी गरदन पीछे की ओर घुमाई, तो उसे सब्जी के पत्ते लटकते दिखाई दिए। ऊंट भूखा था। ऊंट की डोरी लंबी थी, इसलिए ऊंट ने पीछे गरदन करके सब्जी के कुछ पत्ते मुंह में ले लिया और खा गया। यह देखकर कुंजड़ा मन-ही-मन दुखी हुआ। जब ऊंट ने दोबारा सब्जियों के पत्तों

में मुंह मारा तो ऊंटवाले से कुंजड़े ने कहा, “ऊंटवाले भैया, डोरी जरा खींचकर रखो। ऊंट सब्जियों में मुंह मार रहा है।” ऊंटवाला बोला, “अच्छा भैया, ध्यान रखूंगा।” लेकिन ऊंटवाले के ध्यान रखने के बाद भी ऊंट सब्जियों में से कुछ-न-कुछ खींच लेता था। कुम्हार कुंजड़े का नुकसान देखकर मजाक उड़ाने लगा।

शुरू में तो दोनों ओर बराबर वजन के सामान थे, बल्कि थोड़ा सब्जियों का ही भार अधिक था। कुंजड़े को अब लगने लगा था कि हाट पहुंचते- पहुंचते सब्जियां कम हो जाएंगी। ऊंट ने एक बार फिर सब्जियों में मुंह मारा, तो कुम्हार हंस दिया।

कुम्हार के हंसने पर कुंजड़े ने कहा, “देखें ऊंट किस करवट बैठता है?” कुंजड़े की बात सुनकर कुम्हार हंस दिया, और कुंजड़े की ही बात को दोहरा दिया, “देखते हैं ऊंट किस करवट बैठता है?”

ऊंट के बार-बार सब्जियों में मुंह मारते रहने के कारण इस ओर का वजन कम होता जा रहा था। धीरे-धीरे बरतनों का झुकाव नीचे की ओर बढ़ने लगा। यह देखकर कुम्हार का मजाक करना बंद हो गया। अब कुम्हार मन-ही-मन चिंतित होने लगा और सोचने लगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।

जब ऊंट बाजार में पहुंचा, तो उन्होंने सामान लगाने की जगह पर ऊंट को बैठाया। चूंकि बरतनों का वजन भारी था, इसलिए ऊंट उसी करवट बैठा। कुम्हार के तमाम बरतन टूट गए। कुंजड़ा व्यंग्य भरी नजरों से कुम्हार को देखकर कहता है-‘देखें ऊंट किस करवट बैठता है?’

मॉरल ऑफ स्टोरी – देखें ऊंट किस करवट बैठता है?

चूंकि ऊंट सब्जी वाले की हरी सब्जियाँ खा रहा था तो कुम्हार को मजा आ रहा था, वो एक तरह से होशियारी कर रहा था। लेकिन जब सब्जियों का वजन कम हो गया तो कुम्हार के बर्तनों की तरफ वजन बढ़ गया और ऊंट उसी करवट बैठ गया जिधर ज्यादा भार था।

ज्यादा होशियारी के चलते कुम्हार का नुकसान हो गया, इसलिए कभी साझेदारी मे होशियारी नहीं करनी चाहिए।


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