Chanakya Niti यहां नहीं बसाए घर : घर बसाना हर व्यक्ति का सपना होता है, हर कोई चाहता है उसका एक सुंदर सा घर हो। और महान अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में इस बात का जिक्र किया है कि मनुष्य को किस स्थान पर घर बनाना चाहिए और कहाँ नहीं बनाना चाहिए।

खराब जगह घर बनाने पर व्यक्ति और उसका परिवार जीवन भर परेशानियों का सामना करते हैं. इसलिए घर को लेकर बताई गई चाणक्य की ये नीति काफी उपयोगी हो सकती है. आइए जानते हैं चाणक्य की इस नीति के बारे में…

चाणक्य नीति यहां नहीं बसाए घर– श्लोक नंबर १

धनिक: श्रोतियो राजा नदी वैद्यस्तु पंचम:।
पंच यत्र न विद्यन्ते तत्र दिवसं न वसेत्।।

Chanakya Niti Shlok Ghar Kahan Banaye

परिवेश, ज्ञानी पडोसी, राजा, जल और वैद्य: इन पांच चीजों पे जोर दिया गया है इस श्लोक में। Chanakya Niti कहती है वहाँ घर नहीं बसाना चाहिए जहां धनी लोग, ज्ञानी पड़ोसी, अच्छा राजा, नदी, और वैद्य उपलब्ध न हों। आइये जानते हैं क्या अर्थ है इस श्लोक का पूरा भाव –

1. परिवेश

चाणक्य इस श्लोक में बताते हैं कि जिस स्थान पर आस-पास के लोग धनवान हों वो जगह घर बनाने के लिए सही होती है. जहां धनवान व्यक्ति होते हैं वहां व्यवसाय और रोजगार के अवसर होते हैं. ऐसे में व्यक्ति को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ता और जीवन यापन में दिक्कत की संभावना न के बराबर होती है.

2. ज्ञानी पडोसी

पड़ोसी अगर ब्राह्मण या विद्वान हो तो परिवार पर उसका सकारात्मक असर होता है. ऐसे में परिवार और बच्चों का पालन-पोषण भी सही तरीके से हो पाता है. बच्चों पर किसी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता.

3. राजा

राजा यानी जहां की शासन व्यवस्था जनता के अनुकूल हो. राजा या प्रशासन के अच्छा नहीं होने पर जनता को किसी प्रकार का फायदा नहीं मिल पाता. वहीं जिस शासन व्यवस्था में जनता की सीधी पहुंच राजा या शासन करने वाले व्यक्ति तक हो वहां व्यक्ति सुरक्षित रहता है. इसलिए ऐसे जगह पर घर बनाना सही माना जाता है. इसलिए जहां तक हो और जरूरत पड़ने पर आप तुरंत सुरक्षा के लिए वहां पहुंच सकें.

4. जल

जिस जगह नदी, तालाब न हो वहां घर बनाने का कोई फायदा नहीं होता. बल्कि व्यक्ति परेशान रहता है. चाणक्य कहते हैं कि घर बनाने से पहले वहां पानी की मौजूदगी का पता लगा लेना चाहिए. अगर वहां पानी की व्यवस्था पूर्ण रूप से है तो ही घर बनाना चाहिए या खरीदना चाहिए.

5. वैद्य

वैद्य यानी डॉक्टर, चाणक्य कहते हैं घर बनाने से पहले इस बात की पता लगा लेना चाहिए कि घर के आसपास अस्पताल, डॉक्टर हैं या नहीं. इससे बीमारी होने पर मदद होती है और तुरंत स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिल पाता है.

निष्कर्ष

वैसा देखा जाये तो “चाणक्य नीति यहां नहीं बसाए घर” से संबन्धित आचार्य चाणक्य का ये श्लोक आज भी उतना ही तार्किक है जितना की पहले था। हालांकि अब राजतंत्र तो रहा नहीं अब प्रजातन्त्र है फिर भी यदि आप जहां निवास कर रहे हैं वहाँ का मुख्यमंत्री अथवा प्रधानमंत्री निर्बुद्धि हो तो उसका खामियाजा आपको ही भुगतना पड़ेगा।

उदाहरण के लिए आप Ukraine को देख सकते हैं, वहाँ के राजा Jelensky की मूर्खता के कारण Ukraine Russia War हो गया और एक अच्छे खासे प्रगतिशील और विकसित देश के लोग निर्वाषित जीवन जीने को मजबूर हो गए हैं। इसलिए लोकतन्त्र मे प्रजा को और अधिक सजग तथा विवेकपूर्ण होना चाहिए क्यूंकी राजा चुनने का अधिकार उनका है और यदि गलती हुई तो आपका सबकुछ बर्बाद हो सकता है।

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