Buddhi se Bhara Ghada: एक बार किसी बात पर अकबर बीरबल से नाराज़ हो गए और उन्होंने बीरबल को राज्य छोड़कर कहीं दूर चले जाने का आदेश दे दिया. बीरबल ने अकबर के आदेश का पालन किया और राज्य छोड़कर चले गए. कुछ समय बीतने के बाद अकबर को बीरबल की याद आने लगी. कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बीरबल का मशवरा अकबर को निर्णय लेने में मदद करता था. इसलिए बीरबल के बिना निर्णय लेने में अकबर को असुविधा होने लगी.
आखिरकार, उन्होंने अपने सैनिकों को बीरबल को ढूंढने के लिए भेजा. सैनिकों के कई गाँव में बीरबल को ढूंढने का प्रयास किया. लेकिन बीरबल नहीं मिले. कई जगहों पर पूछताछ करने के बाद भी बीरबल का पता-ठिकाना नहीं मिल सका और अकबर के पास सैनिक बैरंग लौट आये. अकबर किसी भी सूरत में बीरबल को वापस लाना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने एक युक्ति सोची. सैनिकों के माध्यम से उन्होंने अपने राज्य के सभी गाँवों के मुखियाओं को संदेश भिजवाया.
संदेश इस प्रकार था –
“Buddhi se Bhara Ghada”
“एक माह के भीतर एक घड़े बुद्धि भरकर उस घड़े के साथ दरबार में उपस्थित हो. ऐसा न कर पाने की स्थिति में बुद्धि की जगह घड़े में हीरे-जवाहरात भरकर देना होगा.”
अकबर का ये संदेश सैनिकों द्वारा गाँव-गाँव में प्रसारित किया गया. एक गाँव में बीरबल भेष बदलकर एक किसान के खेत पर काम किया करते थे. जब उस गाँव ने मुखिया को अकबर का ये संदेश मिला, तो वो चिंतित हो उठा. उसने गाँव के लोगों की सभा बुलाई. बीरबल भी उस सभा में उपास्थित हुआ.
गाँव के मुखिया ने अकबर का संदेष गाँव वालों को दिया, तो सभी सोच में पड़ गए. तब बीरबल ने मुखिया से आग्रह किया,
“महाशय! आप मुझे एक घड़ा दे दें. मैं उसे इन महीने के अंत तक उसे बुद्धि से भर दूंगा.”
मुखिया के पास और कोई चारा नहीं था. उसने एक घड़ा बीरबल को दे दिया. बीरबल वह घड़ा लेकर किसान के उस खेत पर चला गया, जहाँ वह काम किया करता था. वहाँ उसने कद्दू उगाये थे.
उनमें से ही एक छोटे से कद्दू को उठाकर उसने घड़े में डाल दिया. कद्दू अब भी अपनी बेल से लगा हुआ था. बीरबल उस कद्दू को नियमित रूप से खाद-पानी देने लगा और उसकी अच्छी तरह से देखभाल करने लगा. जिससे धीरे-धीरे कद्दू बढ़ने लगा. कुछ दिनों बाद कद्दू का आकार इतना बड़ा हो गया कि उसे घड़े से बाहर निकाल पाना असंभव था. कुछ और दिन बीतने के बाद जब कद्दू का आकार घड़े के आकार जितना बड़ा हो गया, तब बीरबल ने उसे उसकी बेल से काटकर अलग किया. घड़े का मुँह कपड़े से ढकने के बाद वह गाँव के मुखिया के पास पहुँचा और वह घड़ा उसे देते हुए बोला,
“यह घड़ा बादशाह अकबर को दे देना और उनसे कहना कि यह “Buddhi se Bhara Ghada” है इसमें बुद्धि भरी हुई है. इसे बिना काटे और इस घड़े को बिना फोड़े उसे निकाल लीजिये.”
मुखिया बादशाह अकबर के दरबार पहुँचा और उसने अकबर को घड़ा सौंपते हुए वैसा ही कहा, जैसा बीरबल ने उसे कहने के लिए बोला था.
अकबर ने जब घड़े के ऊपर से कपड़ा हटाया और उसमें झांककर देखा, तो उसमें उन्हें कद्दू दिखाई दिया. वे समझ गए कि इतनी दूर की सोच सिर्फ़ बीरबल की ही हो सकती है. पूछने पर मुखिया ने बताया कि यह उसके गाँव के एक किसान के खेत में काम करने वाले व्यक्ति ने किया है. अकबर जान चुके थे कि वो व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि बीरबल है. वे तुरंत मुखिया के गाँव गए. वहाँ किसान के घर जाकर बीरबल से मिले और उससे माफ़ी मांगकर वापस दरबार में ले आये.
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