इस Article मे हमने रामायण से जुड़े कुछ प्रश्न और उनके उत्तर को शामिल किया है जो अक्सर लोगों द्वारा पूछे जाते रहते हैं। जैसे एक प्रश्न पूछा जाता है की भगवान राम चार भाई ही क्यो थे? और इसी प्रकार के तमाम प्रश्न जिनके उत्तर आपके और आपके बच्चों के पास जरूर होने चाहिए।
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भगवान राम किसके पुत्र थे?
राम जी चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ के पुत्र थे।
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दशरथ का क्या अर्थ होता है?
किसी भी इंसान के अंदर दस इंद्रियाँ होती है, और जो अपनी दसों इंद्रियों को रथ लेता है यानि साध लेता है उसे “दशरथ” कहते हैं। राजा दशरथ के नाम का यही अर्थ है।
राम जी के चार भाई कौन थे और उनकी माता का नाम क्या था?
राम – राम सबसे बड़े थे वे भगवान विष्णु के अवतार थे, और उनकी माता का नाम कौशल्या था।
लक्ष्मण – लक्ष्मण जी राम से छोटे थे इसलिए उन्हे रामानुज भी कहा जाता है वे शेषनाग के अवतार थे उनकी माता का नाम सुमित्रा था।
भरत – भरत जी राम जी के तीसरे भाई थे और उनकी माता का नाम कैकेई था।
शत्रुघन – सबसे छोटे शत्रुघन थे और वे भी माता सुमित्रा के पुत्र थे, यानि लक्ष्मण और शत्रुघन दोनों सुमित्रा नन्दन थे।
भगवान राम चार भाई ही क्यो थे?
भगवान राम चार भाई थे- राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन। सनातन धर्म मे पुरुषार्थ का बहुत अधिक महत्व है और राम जी को मर्यादा पुरषोत्तम कहा जाता है। चार पुरुषार्थ करने होते हैं प्रत्येक व्यक्ति को जीवन मे- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष।
राम– मर्यादा पुरषोत्तम हैं और वे धर्म के प्रतीक हैं।
लक्ष्मण– काम अर्थात कामना के प्रतीक हैं, और कामना हमेशा धर्म अनुसार होनी चाहिए इसीलिए राम (धर्म) के साथ हमेशा लक्ष्मण (काम) रहते हैं।
शत्रुघन– अर्थ के प्रतीक थे, और धन सम्पदा अथवा अर्थ देश के बाहर नहीं जाना चाहिए इसलिए शत्रुघन हमेशा राजधानी अवध मे रहे।
मोक्ष– भारत मोक्ष के प्रतीक थे, और मोक्ष हमेशा धर्म के मार्ग पर चलकर ही प्राप्त होता है, और इसलिए भरत जी ने राम जी (धर्म) का एक प्रतीक उनकी खड़ाऊ रखकर शत्रुघन के द्वारा शासन अयोध्या का शासन चलाया।
धर्म को सर्वाधिक प्रिय मोक्ष है, इसलिए हनुमान चालीसा मे एक चौपाई है “तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई“। इसमे राम जी कहते हैं हनुमान जी के लिए तुम मेरे लिए भरत समान प्रिय हो, जबकि लक्ष्मण जी हमेशा उनके साथ रहे फिर भी उन्होने भरत को अधिक प्रिय और हनुमान जी जैसे भक्त को भी भरत समान ही प्रिय बताया।
अब आप समझ गए होंगे की भगवान राम चार भाई ही क्यो थे?
राजा दशरथ की कितनी पत्नियाँ थी और शास्त्रों मे उनका क्या महत्व है?
राजा दशरथ के तीन रानियाँ थी – कौशल्या, सुमित्रा और कैकेई
शास्त्रों के अनुसार मनुष्य के तीन गुण होते हैं सतगुण, रजोगुण और तमोगुण, राजा दशरथ की तीनों रानियाँ इन्ही तीनों गुणों की प्रतीक मानी गई हैं।
कौशल्या (सतगुण की प्रतीक): जिन्होंने राम (धर्म के प्रतीक) को जन्म दिया, यानि सतगुण से धर्म जन्म लेता है।
सुमित्रा (रजोगुण की प्रतीक): जिन्होंने लक्ष्मण (काम के प्रतीक) और शत्रुघन (अर्थ के प्रतीक) को जन्म दिया। यानि रजोगुण से काम और अर्थ की उत्पत्ति होती है।
कैकेई (तमोगुण की प्रतीक): जिन्होंने भरत (मोक्ष के प्रतीक) को जन्म दिया। यानि तमोगुण से ऊपर उठकर ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है, और इसीलिए भरत ने अपनी माँ की इच्छा के विरुद्ध जाकर अयोध्या का राजा बनने की बजाय नंदिग्राम मे तप करना उचित और धर्म सम्मत समझा।
राम जी ने लक्ष्मण को 14 वर्ष वनवास मे अपने साथ जाने की अनुमति क्यो दी?
शास्त्रों के अनुसार इसके तीन कारण हो सकते हैं-
1. राम धर्म के प्रतीक हैं और लक्ष्मण कामना के प्रतीक हैं, और शास्त्रों मे धर्म और कामना को हमेशा साथ होना चाहिए। इसलिए लक्ष्मण हमेशा उनके साथ मिलेंगे आपको, ये तो हो गया शास्त्रों के अनुसार, लेकिन राम जी के पास लक्ष्मण को साथ ले जाने का कारण दूसरा था।
2. लक्ष्मण का स्वभाव: लक्ष्मण जी भगवान विष्णु के शेषनाग अवतार थे और स्वभाव से क्रोधी थे खासकर जब कोई उनके बड़े भ्राता श्री राम के विरुद्ध हो। ऐसे मे राम जी जानते थे कि लक्ष्मण जी कभी भी भरत को निष्कंटक राज नहीं करने देंगे ,वे राम से अत्यन्त प्रेम करते हैं और जो भी श्री राम के वनवास का कारण बना उससे लक्ष्मण जी शत्रुता का भाव रखेंगे।
3. लक्ष्मण की जिद :
सिसु प्रभु सनेह प्रति पला । मंदरू मेरु कि लेहूं मराला ।।
गुरु पितृ मातु न जानूं काहू । कहौं सुभाऊ नाथ पतिआहू।।
इस चौपाई मे लक्ष्मण कहते हैं मई हमेशा आपके स्नेह में पला हुआ एक छोटा बच्चा हूं ! कभी हंस भी मंदरचल पर्वत को उठा सकता है ? हे नाथ ! आप मेरे स्वभाव से अवगत हैं, आप विश्वास करें मैं आपको छोड़कर गुरु, पिता,माता, किसी को भी नहीं जानता ।
जह लगि जगत सनेह सगाई । प्रीति प्रतीति निगम निजू गाई ।।
मोरे सबई एक तुम्ह स्वामी । दीनबंधु उर अन्तर्यामी ।।
जगत में जहाँ तक स्नेह का संबंध, प्रेम और विश्वास है, जिनको स्वयं वेद ने गाया है- हे स्वामी! हे दीनबन्धु! हे सबके हृदय के अंदर की जानने वाले! मेरे तो वे सब कुछ केवल आप ही हैं
इस तरह से लक्ष्मण के अनुग्रह को राम जी नहीं टाल सके।
क्या राम के जन्म की सही तारीख क्या है? Exact Date of Ram Birth?
श्री राम के जन्म की सटीक तारीख की बात करें तो Institute for Scientific Research on Vedas (I-SERVE) के अनुसार श्री राम के जन्म का समय और तारीख – 12:05 AM 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व है। और ये तिथि निकाली गई नासा के प्लानेटरियम सॉफ्टवेयर के जरिये जो ग्रहों और नक्षत्रों की position के आधार पर समय गणना करने मे सक्षम है।
चूंकि वैदिक काल गणना तारों ग्रहों और नक्षत्रों की मूवमेंट के आधार पर की जाती थी और इसीलिए महर्षि बाल्मीकी जी ने राम जी के जन्म का समय कुछ इस प्रकार लिखा है:
वाल्मीकि लिखते हैं कि चैत्र मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथी को पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में कौशल्यादेवी ने दिव्य लक्षणों से युक्त सर्वलोकवन्दित श्री राम को जन्म दिया। वाल्मीकि कहते हैं कि जिस समय राम का जन्म हुआ उस समय पांच ग्रह अपनी उच्चतम स्थिति में थे।
यानि सूर्य मेष राशि मे 10 डिग्री, मंगल मकर राशि मे 28 डिग्री, वृहस्पति कर्क मे 5 डिग्री पर, शुक्र मीन राशि मे 27 डिग्री पर और शनि तुला राशि मे 20 डिग्री कर था।
जब नासा के Planetarium Software मे ग्रहों की इस संभावित स्थिति को डाला गया तब उस सॉफ्टवेयर ने 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व की तारीख निकल के आई। और ये श्री राम के ऊपर की गई सबसे आधुनिक वैज्ञानिक रिसर्च है जो राम के जन्म की लगभग सटीक जानकारी विज्ञान द्वारा प्रमाणित करती है। इसलिए जो कहते हैं राम काल्पनिक हैं उन्हे सोचने की जरूरत है।
परंपरागत रूप से भी देखा जाए तो हिन्दू श्री राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाते आ रहे हैं जिसे राम नवमी भी कहते हैं लेकिन चैत्र मास अग्रेजी कलेंडर के मार्च और अप्रैल के बीच मे पड़ता है। सॉफ्टवेर के अनुसार करीब 2 माह का अंतर दिखता है लेकिन अंग्रेजी कलेंडर की गणना मे त्रुटि हो सकती है क्यूंकी इसमे फरवरी 28 ही होती है जबकि वैदिक कलेंडर पूर्णतया तारों की चाल पे आधारित है।
श्री राम की बहन कौन थी उनका क्या नाम था?
बहुत कम लोग जानते हैं की श्री राम की एक बड़ी बहन भी थीं इसका कारण यह है की बाल्मीकी रामायण मे इनका उल्लेख बहुत कम बार हुआ है। राम जी की एक बड़ी बहन थी जिनका नाम “शांता” था जो राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थी।
दरअसल “देवी शांता” को अंग देश के राजा रोमपद और उनकी पत्नी वार्षिणी ने राजा दशरथ से गोद ले लिया था। रोमपद की पत्नी वार्षिणी, श्री राम की माता कौशल्या की बहन और राम जी की मौसी थी।
और इसीलिए जब अंगदेश के राजा रोमपद और रानी वार्षिणी अयोध्या आयीं तभी दशरथ की सबसे बड़ी पुत्री “शांता” को मांग लिया था। देवी शांता का विवाह शृंगी ऋषि से हुआ था, दोनों के दक्षिण भारत मे कुछ मंदिर भी हैं।
अंतिम टिप्पणी
इस लेख मे हमारी टीम ने रामायण से जुड़े कुछ प्रश्न जैसे राम चार भाई ही क्यो थे? राम के जन्म की तारीख क्या है इत्यादि महत्वपूर्ण प्रश्नों को शामिल किया है। आपको यह लेख कैसा लगा कमेंट मे टिप्पणी करके हमे बता सकते हैं।
इसके अलावा यदि आपके मन मे कुछ और प्रश्न हैं तो आप उन्हे भी लिख के बता सकते हैं। हमारी टीम उस प्रश्न का तार्किक उत्तर तलाशने का प्रयास करेगी।