Kahawat in Hindi with Meaning (हिंदी कहावतें): जो लोग 80-90 दशकों में पले बढ़े हैं उन्होंने काफी मजेदार और तार्किक कहावते सुनी होगी अपने माता पिता से और दादा दादी नाना नानी से। आज के समय मे भी उन कहावतों और मुहावरों का कोई तोड़ कोई काट नही है, वो आज भी उतने तर्कसंगत और प्रेरणादायक लगते हैं।
हिंदी कहावत (Kahawat in Hindi) का मूल अभिप्राय: कहावते हमारे समाज में प्रचलित अति महत्वपूर्ण और संक्षिप्त कथन हैं जो छोटे से वाक्य में काफी गूढ़ अर्थ लिए होते हैं। वास्तव में कहावतें समाज का दर्पण होती है और रोजमर्रा की बातचीत को रुचिपूर्ण बना देती हैं। अगर आप चाहते हैं की आपकी बात को लोग सुने और सुनकर आनंदित हों तो आपको इन हिन्दी कहावतों (Hindi Kahawatein/ Kahawat in Hindi) अवश्य याद कर लेनी चाहिए इससे आपका वार्तालाप मजेदार बन जाएगा।
दरअसल कहावतें और मुहावरें मनोरंजन के लिए नही बल्कि समाज को अच्छी शिक्षा और सामाजिक ज्ञान और परिवेश को जानने समझने का बेहतरीन जरिया हुआ करती थी। कहावतें सिर्फ हिंदी ही नही अन्य भाषाओं में भी प्रचलित है. हर क्षेत्र हर देश में अलग अलग तरह की कहावतें और मुहावरे प्रचलित हैं. जिनमे से काफी आप रोज सुनते होंगें, यहाँ पर आपको कुछ ऐसे चुनिंदा और मजेदार कहावतें बताएंगे जो आपने शायद ही सुनी हो।
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मजेदार Kahawat in Hindi
जैसा करे वैसा पावे, पूत-भतार के आगे आवे
इस कहावत का अर्थ है – की अपना किया कर्मों से ही खुद का सामना होता है – बेटा जो होता है वो पति के सामने ही रंग दिखा देता है। इस कहावत के पीछे एक कहानी है जिसे आप ऊपर लिंक पे क्लिक करके देख सकते हैं।
“बाज के बच्चे मुंडेर पे नही उड़ा करते”
जब आपको कोई ऊंचा उदाहरण देना हो तो आप इस कहावत का प्रयोग कर सकते हैं, जैसे बाज हमेशा ऊँचा उड़ने वाला पक्षी होता है, इसलिए कहते बड़ा सोचने वाले छोटी छोटी चीजों के बारे में नही सोचते।
“खाने को चने नहीं, पिछवाड़ा मांगे जायफल। तनख़्वाह साढ़े पाँच सौ, कंधे पे टाँगे राइफल”
ये हिन्दी कहावत आप उस दोस्त पे इस्तेमाल कीजिये जो ज़्यादातर दिखावे मे रहता है। औकात से ज्यादा बड़ी बड़ी बातें करने वालों के लिए हमारे बुजुर्गो ने ये मजेदार कहावत बनाई है एकदम सटीक।
“वर जीत लिया कानी, वर भावर घूमे तब जानी“
अर्थ: ये अवधी को काफी मशहूर कहावत है,जब कोई बेमेल संबंध बनते है तब कहते है। अर्थात रिश्ते हमेशा बराबर में बनने चाहिए तभी लंबा चल सकेगा।
“अपने जोगी नंगा तो का दिए वरदान“
अर्थात जोगी के पास खुद को पहनने के लिए नही वो आपको क्या देगा, जब आपसे कोई कुछ मांग करे और आप सक्षम न हो तब आप ये कहावत मार सकते हैं। मैथिली भोजपुरी की प्रसिद्ध कहावत है ये।
अपने बेरों को कोई खट्टा नही कहता
मतलब: अपने भीतर किसी को दोष नजर नहीं आता, व्यक्ति हमेशा दूसरों मे कमियाँ खोजता है लेकिन अपनी नहीं देख पता और देखकर भी कभी नजरंदाज कर देता है।
“अरहर की टटिया गुजराती ताला“
गांव में पहले लोग अरहर के सूखे पौधे और बॉस की डंडियों से दरबाजे बनाते थे, उसी पे कहा गया है_
अरहर की टटिया गुजराती ताला, मतलब छोटे से आयोजन या काम के लिए फालतू का तामझाम करना।
“मन मन भावे, मुड़िया हिलावे“
Meaning: इसका का अर्थ ये है कि अंदर मन मे लडडू फुट रहे हो और बाहर से न नुकर कर रहा हो।
कुछ व्यक्ति अंदर से तो खुश हो रहे होते हैं लेकिन फॉर्मेलिटी के लिए ऊपर से न नुकर करते रहते हैं।
“खेत खाये गदहा मार खाये जोलाहा“
ये कहावत उत्तर भारत में काफी प्रचलित है। इसका वास्तविक अर्थ है किसी और कि गलती की सजा किसी और को मिल जाना
“चोर की दाढ़ी मे तिनका“
यह एक मशहूर हिन्दी कहावत है- इसका अर्थ यह है की जिसके मन मे चोर होता है वो जरूरत से ज्यादा चौकन्ना रहता है। जैसे अगर कोई चोर है तो वह नॉर्मल व्यवहार नहीं कर पाएगा बल्कि उनके मन मे डर सा बना रहेगा पकड़े जाने का उसके हावभाव बादल जाते हैं। इसके बारे मे एक Akbar Birbal ki Kahani भी है
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मजेदार Kahawat in Awadhi
“प्रीत न जानै जात कुजात, नींद न जानै टूटी खाट”
अर्थ : लोकोक्ति बताती है कि जैसे नींद आनेपर टूटी खाट पर भी सो जाते हैं, उसी तरह प्रेम होने पर जात-पांत का महत्त्व नहीं रह जाता।
“बदन पर नहीं लत्ता, पान खाएँ अलबत्ता”
अर्थ : चाहे मूलभूत सुविधाएँ न हों, पर जिस वस्तु से लगाव हो, उसे अवश्य पूरी करना।
“फूल न पान, कहने को मेहमान”
अर्थ : इस लोकोक्ति का शाब्दिक अर्थ है कि जो न फूल लाए, न पान, वह सिर्फ कहने भर को मेहमान है।
ऐसी ही और मजेदार १०० से अधिक अवधी कहावत पढ़ें…
सामाजिक हिन्दी कहावतें (Samajik Hindi Kahawat in Hindi)
Kahawat in Hindi के इस सेक्शन मे आपके लिए कुछ बेहतरीन सामाजिक कहावतें और उनके अर्थ दिये गए हैं। इनको महज कहावत नहीं बल्कि समाज का आईना समझिए क्यूंकी इनके अर्थ बहुत गहरे हैं और एक प्रकार से आपका मार्गदर्शन करने के लिए इन कहावतों को रचा गया है।
“माया तेरे तीन नाम : परसा, परसू, परसुराम“
ये भी एक मशहूर Hindi Kahawat है- ऐसा कहा गया है की माया यानि धन के तीन नाम हैं- जब धन कम होता है तो आपको लोग बहुत ही Casual तरीके से बुलाते हैं, जैसे जैसे आपके पास धन बढ़ता है जिसको परसा परसा कहकर बुलाते थे उसे परसुराम भाई कहने लगते हैं।
पांव गरम पेट नरम और सिर हो ठंडा तो वैद को मारो डंडा:
इसे आप Ayurvedic Hindi Kahawat की श्रेणी मे रख सकते हैं – इसमे किसी को डंडा नहीं मारना है बस कहने का अर्थ यह है कि पाँव गरम है और पेट नरम यानी साफ और सर ठंडा है यानी बुखार न हो तो आप स्वस्थ हैं।
घी खाया बाप ने सूँघो मेरा हाथ:
जब कोई दुसरो की ख्याति पे उतावला हो या दूसरों के काम को अपने लिये डींगे मारे तो आप ये कहावत दाग सकते हैं की बाप ने घी खाया तो अपना हाथ क्यों सुंघा रहे हो।
चिकने घड़े पे पानी नहीं ठहरता:
मतलब बेशर्म को कुछ भी कहो एक कान से सुनेगा दूसरे से निकाल देगा।
“उचक्का चौधरी, कुटनी भई परधान“
कहने का तातपर्य यह है कि सत्ता अयोग्य हाथों में है।
“अधजल गगरी छलकत जाय“
अर्थ: कहने का तातपर्य यह है जिस घड़े मे पानी कम होता है वो ज्यादा छलकता है। उसी प्रकार जिसे कम ज्ञान होता है वो ज्यादा ज्ञान बाटता फिरता है।
“हड़कायल कुत्ता शिकार नहीं पकड़ता।“
अर्थात – प्रेरणा रहित आदमी : ये कहावत उनलोगो के लिए है जो खुद कुछ करना नहीं चाहते। अगर कोई खुद से ही आगे बढ़ना नहीं चाहता तो कोई उससे बोल कर अच्छा काम नहीं करवा सकता।
“जब आया देही का अंत जैसा गदहा वैसा संत“
मृत्यु के समय सब की एक समान स्थिति हो जाती है, इसलिए ऊँच नीच का भेदभाव नही करना चाहिए।
“अपने किए का क्या इलाज“
अपनी गलती का क्या इलाज हो सकता है सिवाय पश्चाताप के, कहते हैं की दूसरों की गलती पे तो लोग खूब ज्ञान देते हैं लेकिन जब खुद की गलती हो तो उसका क्या इलाज। इस Hindi Kahawat के पीछे बड़ी रोचक Hindi Kahani है जो आपको पढ्न चाहिए।
कुछ और मजेदार हिंदी कहावतें (Kahawat in Hindi)
कहावतें कभी कभी काफी गूढ़ अर्थ लिए होती है। इसे हम सोशल रिफरेन्स यानि सामाजिक सरोकार के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। कुछ Hindi Kahawat काफी वास्तविक मार्गदर्शक हो सकती हैं आपके लिए।
चलिए देखते हैं ऐसी ही कुछ और मजेदार और जीवंत हिंदी कहावतें।
“सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को”
इसका अर्थ है की सारे कुकर्म और पाप करने के बाद धार्मिक बनने का नाटक करना।
अंटी में न धेला, देखन चली मेला. या “घर मे नहीं दाने अम्मा चली भुनाने”
पहले के लोग धोती या पाजामा पहनते थे जिसमे जेब नहीं होती थी. पैसे इत्यादि को एक छोटी सी थैली में रख कर धोती की फेंट में बाँध लेते थे. इसको बोलचाल की भाषा में अंटी कहते थे. कहावत का अर्थ है कि रुपये पैसे पास न होने पर भी तरह तरह के शौक सूझना
अघाना बगुला, सहरी तीत:
सहरी एक प्रकार की मछली है जिसकी कीमत थोड़ी सस्ती होती है बगुले का पेट भरा है तो उसे सहरी (एक प्रकार की मछली) कड़वी लग रही है. कहावत का अर्थ है कि कोई भी वस्तु भूख लगने पर ही स्वादिष्ट लगती है.
“अटका बनिया देय उधार”
अर्थ: बनिया मजबूरी में माल दे रहा है, क्योंकि पिछला उधार निकालने का और कोई तरीका नहीं है. मजबूरी में कोई किसी का काम कर रहा हो तो यह कहावत कहते हैं.
“अपना बैल, कुल्हाड़ी नाथब”
अर्थ: गांवों पे पहले बैलों से खेती हुआ करती थी। सबके पास एक जोड़ी बैल होते थे और बछड़ा जब बड़ा हो जाता था तो उसे नथना पड़ता था उसकी नाक मे रस्सी डालकर। और उसी संदर्भ मे ये हिन्दी कहावत कही गई है। हमारा बैल है हम चाहें कुल्हाड़ी से नाथें. कहावत का अर्थ है कि अपना काम हम चाहे जैसे करें किसी को क्या. शहर में रहने वाले लोग यह नहीं जानते होंगे कि बैल नाथने का अर्थ होता है, बैल के नथुने में छेद कर के उसमें रस्सी डालना.
“दूसरे की पैंट में बड़ा दिखता है“
मतलब की दूसरे का धन ज्यादा लगता है।
“बाभन को घी देव बाभन झल्लाय“
मूर्ख और अभिमानी आदमी का भला करो तो भी वो आपको इज्जत नहीं देता।
गुड़ खाये गुलगुलों से परहेज:
जब कोई व्यक्ति फर्जी नाटक करता है तब हम कहते हैं की गुड़ से कोई परहेज नहीं लेकिन गुड़ से बने गुलगुले खूब खाये।
अनके (दूसरे का) पनिया मैं भरूँ, मेरे भरे कहार.
अपने घर में काम करने में हेठी समझना और दूसरे के घर में वही काम करना.
“अढ़ाई हाथ की ककड़ी, नौ हाथ का बीज”
कोई असंभव सी बात. कोरी गप्प. आपको इतना तो पता ही होगा की किसी भी फल का बीज उस फल के आकार से बड़ा हो नहीं सकता है। इसीलिए जब कोई लंबी गप्प फेक रहा हो तो हम कह सकते हैं “अढ़ाई हाथ की ककड़ी नौ हाथ का बीज”
हरका माने लेकिन परका न माने:
अवधी भाषी क्षेत्र मे ये काफी प्रचलित है। “हरका” मतलब जिसे किसी काम के लिए रोक दिया गया हो या मना कर दिया गया हो और “परका” मतलब आदत से मजबूर। यानि आदत से मजबूर व्यक्ति नहीं समझाने पर भी नहीं मानता।
अपने बेरों को कोई खट्टा नही कहता:
मतलब कोई भी अपनी बुराई स्वयं नही करता और न ही देख पाता है। प्रचलित हिंदी कहावतें जो है उनमे से ये एक बहुतायत प्रयोग की जाने वाली कहावत है।
कर्महीन खेती करे बैल मरे पत्थर परे:
जो व्यक्ति कर्म करना नही चाहता उसके लिए स्थिति हमेशा विपरीत हो जाती है।
“अफलातून का नाती“
अर्थ: खुद को ज्यादा ही महत्व देना।
“भेड़ जहाँ जाएगी वहीं मुड़ेंगी“
अर्थात: सीधा साधा व्यक्ति हमेशा ही ठगी का शिकार हो जाता है। यहाँ पे मुड़ेंगी से तात्पर्य सिर मुड़वाने से है।
“ओस चाटने से प्यास नही बुझती“
आवश्यकता से कम प्रयास करने से सफलता कभी नही मिल पाती ये इस Hindi Kahawat का मूल अर्थ है।
“अंधो का हाथी“
हर किसी चीज का अपूर्ण ज्ञान रखने वाले को जो हर बात में ज्ञान बघारे उसे कहते हैं अंधो का हाथी।
“अंडे सेवे कोई लेवे कोई“
अर्थ: इसके शाब्दिक अर्थ पे जाए तो मुर्गी के अंडे कोई पालता है लेकिन स्वाद कोई और लेता है,
वास्तविक अर्थ हुआ कि किसी और कि मेहनत का फल किसी और को मिल जाना।
कुछ अनोखी हिंदी कहावतें (Funny Kahawat in Hindi)
अंधा क्या जाने बसंत की बहार:
वसंत ऋतु में प्रकृति का सौंदर्य अद्भुत होता है, पर जो बेचारा अंधा है वह तो उसका आनंद नहीं ले सकता. यदि आप किसी अत्यधिक गरीब व्यक्ति के सामने विदेश की सैर में होने वाले आनंद का वर्णन करेंगे तो वह बेचारा यही कहेगा. इसी प्रकार श्री कृष्ण की बाल लीलाओं के वर्णन में जो रस की प्राप्ति होती है उसे अधर्मी और विधर्मी लोग कैसे जान सकते हैं.
अंधा मुल्ला, टूटी मस्जिद:
दो बेमेल काम, मुल्ला जब अँधा हो तो वो देखरेख नहीं कर सकता मस्जिद की, इसीलिए कहा गया हिअ अन्धा भया मुल्ला तो टूटी मस्जिद।
अपना रख पराया चख:
ये उस व्यक्ति पे लागू होता है जो अपना सामान अपने पास होते हुए भी दूसरों से मांग के इस्तेमाल करे।
“अबकी अबके साथ जबकि जब के साथ“
इस हिन्दी कहावत का तात्पर्य यह है कि व्यक्ति को वर्तमान में जीना चाहिए, भविष्य का भविष्य पे छोड़ देना चाहिए।
अपना ढेढर देखे नही दूसरे की फुल्ली निहारे:
ये हिन्दी कहावत उनपे लागू होती है जो अपने बड़े बड़े ढेर सारे दुर्गुण नही देख पाते हैं और दूसरों में छोटे छोटे खोट निकालते रहते हैं।
“अपनी चिलम भरने को मेरा झोपड़ा जलाते हो“
मतलब अपने छोटे से फायदे या काम के लिए दूसरों का भारी भरकम नुकसान कर देना।
“अरहर की टटिया गुजराती ताला“
गांव में पहले लोग अरहर के सूखे पौधे और बॉस की डंडियों से दरबाजे बनाते थे, उसी पे कहा गया है_
अरहर की टटिया गुजराती ताला, मतलब छोटे से आयोजन या काम के लिए फालतू का तामझाम करना।
मन मन भावे, मुड़िया हिलावे“
इसका का अर्थ ये है कि अंदर मन मे लडडू फुट रहे हो और बाहर से न नुकर कर रहा हो।
कुछ व्यक्ति अंदर से तो खुश हो रहे होते हैं लेकिन फॉर्मेलिटी के लिए ऊपर से न नुकर करते रहते हैं।
खेत खाये गदहा मार खाये जोलाहा:
ये कहावत उत्तर भारत में काफी प्रचलित है। इसका वास्तविक अर्थ है किसी और कि गलती की सजा किसी और को मिल जाना।
घी का लडडू टेढ़ा ही भला: यानी काम के व्यक्ति में छोटा मोटा खोट नही देखा जाता।
अपना लाल गँवाय के दर-दर माँगे भीख:
मतलब- अपने पास की कीमती चीज को गवाने के बाद दुसरो पे निर्भर हो जाना।
जब कोई भी ऐसा व्यक्ति जो अपनी कीमती चीज बेच के या गवां के दुसरो के टुकड़ो पे आश्रित हो जाए तो यही कहेंगे-
“अपना लाल गँवाय के दर-दर माँगे भीख”
चार दिन की चांदनी फिर अँधेरी रात:
सबको पता है पूरी चांदनी सिर्फ कुछ दिन के लिए होती है फिर चन्द्रमा घटने लगता है और अँधेरी रात आ जाती है। इसीलिए जब कोई चीज कम समयावधि के लिए होती है तब हम इस हिंदी कहावत का प्रयोग करते हैं।
अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना: मतलब- मूर्खतापूर्ण कार्य करना.
अक्सर जो पुट्ठे काम करता है तो हम कहते है की फलाना भी अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरता है।
“होय भिन्सार बड़ी बिल खोदब“
यह Hindi Kahawat निहायत ही आलसी और कल पे टालने वालों के ऊपर लागू होती है।
अवधी में भिन्सार = सुबह और खोदब= खोदना
मतलब सुबह होने तो दो बड़ी सी बिल खोदुंगा।
और सुबह होने पे भूल जायेगा क्युकी जरुरत रात को पड़ेगी।
“अपनी खाल में मस्त रहना“
अर्थ: किसी से मतलब न रखना बस अपने में मस्त रहता
“अंडे होंगे तो बच्चे बहुतेरे हो जाएंगे“
अर्थ:मूल वस्तु प्राप्य रहेगी तो उससे बनने वाली वस्तुएँ तो निश्चित ही प्राप्त होती रहेंगी
अपना काम बनता भाड़ में जाये जनता:
अर्थ: सिर्फ अपना स्वार्थ देखना। दूसरों के नफे नुकसान की फ़िक्र न करना
दूध का जला मट्ठा भी फूक फूक कर पीटा है:
यानि की: एकबार धोखा खाया व्यक्ति ज्यादा सतर्कता बर्तता है।
जहाँ मुर्गा नहीं बोलता वहां क्या सवेरा नहीं होता:
अर्थ: किसी के बिना किसी का कार्य कभी नहीं रुकता।
नाच न जाने आँगन टेढ़ा:
किसी को काम करने का ढंग न हो तो वह दूसरी चीजों में ऊटपटांग कमियाँ खोजता है।
Conclusion:
(Kahawat in Hindi) कहावतें कहने में छोटी सी लाइन होती हैं लेकिन इनका गूढ़ अर्थ होता है। हमारे पूर्वजों ने अपने अनुभव के आधार पर ये कहावतें विकसित की हैं। हिंदुस्तान में जनमानस में हिंदी कहावतें बहुत सम्मान रखती हैं।
ये कुछ ऐसी मजेदार हिंदी कहावतें (Kahawat in Hindi) है हमने आपके साथ साझा की. यदि आपकी community में प्रान्त में कुछ अनोखी और मजेदार ज्ञानवर्धक कहावतें हैं, जो आप शेयर करना चाहें, तो कमेंट बॉक्स में बताएं ।